श्रद्धा, सेवा और समर्पण के संग मना 326वां खालसा सृजना दिवस एवं वैसाखी महापर्व – अखंड पाठ से लेकर लंगर तक, गुरुघर में गूंजा वाहेगुरु का नाम, संगत में भक्ति और भाईचारे का संचार*

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: चाईबासा स्थित गुरुद्वारा नानक दरबार में 326वें खालसा सृजना दिवस एवं वैसाखी महापर्व का आयोजन अपार श्रद्धा, उल्लास और भक्ति भाव के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन सिख इतिहास, परंपरा और आध्यात्मिक चेतना का जीवंत प्रतीक बनकर उभरा, जिसमें चाईबासा ही नहीं, बल्कि आसपास के क्षेत्रों – झींकपानी, खरसावां और केशरगड़िया से भी संगत ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
पिछले दो दिनों से चल रहे श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अखंड पाठ की पूर्णता के साथ आरंभ हुआ यह पावन पर्व, निशान साहिब सेवा के जरिए और भी पवित्र हुआ।
दूध और जल से स्नान कराकर निशान साहिब को नया चोला पहनाया गया और उसके पश्चात अरदास की गई व संगत को पवित्र प्रसाद वरताया गया।
श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष गुरमुख सिंह खोखर ने साध-संगत को वैसाखी की लख-लख बधाइयाँ देते हुए गुरु के मार्ग पर चलने और वाहेगुरु को समर्पित जीवन जीने का संदेश दिया।
उन्होंने 1699 की ऐतिहासिक वैसाखी का स्मरण कराते हुए बताया कि दशम पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने इसी दिन पंज प्यारों को सजा कर खालसा पंथ की नींव रखी थी। गोबिंद राय से गोबिंद सिंह बनने की यह घटना, आत्मबल, त्याग और धर्मनिष्ठा की मिसाल है।
जमशेदपुर से पधारे ग्रंथी प्रताप सिंह जी ने खालसा सृजन के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को विस्तार से बताया, जिससे संगत की जानकारी और आस्था दोनों को गहराई मिली।
इस अवसर पर गुरुद्वारा नानक दरबार को वातानुकूलित करने हेतु योगदान देने वाले श्रद्धालुओं का विशेष रूप से सम्मान किया गया। बलजीत सिंह खोखर, निश्चल सांगरा, गुरचरण सिंह गांधी, अमरीक सिंह लड्ड, गुरमीत सिंह गांधी, लखबीर सिंह राजा, जगबिन्दर प्रताप सिंह और जसपाल सिंह भमरा को शाल ओढ़ाकर सन्मानित किया गया।
कार्यक्रम में बच्चों द्वारा भावपूर्ण कविता पाठ और अनमोल सलूजा द्वारा शब्द कीर्तन, जिसमें तबले पर विद्युत सिंह राय ने संगत दी, ने समूचे वातावरण को भक्ति से भर दिया। तत्पश्चात अरदास के बाद संगत को पंगत में बैठाकर गुरु का लंगर वरताया गया।
रात्रि में स्त्री सत्संग सभा द्वारा शब्द कीर्तन और युवा खालसा द्वारा आतिशबाजी के आयोजन के साथ यह पर्व और भी रंगारंग हो गया। आयोजन की पूरी व्यवस्था श्री गुरु सिंह सभा की अगुवाई में की गई थी, जिनके अध्यक्ष ने इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के सहयोग के लिए सभी साथियों का आभार जताया और पश्चिमी सिंहभूम वासियों को भी वैसाखी की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं।
यह आयोजन केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उत्थान, सामाजिक एकता और सिख परंपरा की गौरवमयी झलक था, जिसने सभी संगतजनों के हृदय में अमिट छाप छोड़ी।