हो” भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग तेज, चाईबासा में समिति की बैठक में लिया गया महत्वपूर्ण निर्णय*

न्यूज़ लहर संवाददाता
चाईबासा: “हो” भाषा-साहित्य विकास समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक आदिवासी “हो” समाज महासभा के कला एवं संस्कृति भवन, हरिगुटू (चाईबासा) में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता महासभा के उपाध्यक्ष बामिया बारी ने की। इस अवसर पर “हो” भाषा और साहित्य की वर्तमान स्थिति, पाठ्यपुस्तकों में मौजूद भ्रामक तथ्यों और उनके समाधान को लेकर गंभीर चर्चा की गई।
बैठक में यह प्रस्ताव लाया गया कि झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, दिल्ली सहित अन्य राज्यों में बोली जाने वाली “हो” भाषा, उसकी संस्कृति और धार्मिक पहचान को एकरूपता देने की दिशा में समन्वित रणनीति बनाई जाएगी। इसके लिए साहित्यकारों, उपन्यासकारों, कवियों, लेखकों, बुद्धिजीवियों और भाषा प्रेमियों के साथ गहन संवाद और मंथन किया जाएगा।
आगामी दिनों में एक विशेष सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ समन्वय स्थापित कर निर्णायक रणनीति तय की जाएगी। बैठक में टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा संचालित तुरतुंग प्रोजेक्ट के अंतर्गत चल रहे साक्षरता कार्यक्रमों की गुणवत्ता और पाठ्यक्रम में सुधार की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई।
बैठक में गठित उपसमिति द्वारा यह प्रस्ताव पारित किया गया कि “हो” भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए आंदोलन और जन-जागरूकता कार्यक्रमों को और तेज किया जाएगा। इसके लिए महासभा की अनुषंगी इकाई आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा और ऑल इंडिया “हो” लैंग्वेज एक्शन कमिटी के नेतृत्व में अभियान चलाया जाएगा।
इस अभियान के माध्यम से “हो” भाषा की संवैधानिक मान्यता, संसदीय प्रक्रियाओं और अधिकारों को लेकर समुदाय में राजनीतिक और सामाजिक जागरूकता फैलाने का कार्य किया जाएगा। इसका उद्देश्य न केवल भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाना है, बल्कि समुदाय को संगठित और सशक्त बनाना भी है।
बैठक में महासभा की केंद्रीय समिति के संयुक्त सचिव हरिश चंद्र सामड, कोषाध्यक्ष चैतन्य कुंकल, शिक्षा सचिव विपिन चंद्र तामसोय, युवा महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इपिल सामड, महासचिव गब्बरसिंह हेम्ब्रम, धर्म सचिव सोमा जेराई और प्रदेश सांस्कृतिक सचिव जगन्नाथ हेस्सा उपस्थित थे।