रविंद्र बाल संस्कार स्कूल असुरा में बाल संसद का गठन – बच्चों ने संभाली जिम्मेदारी, बढ़ाया नेतृत्व का हौसला*

चाईबासा: झींकपानी प्रखंड के असुरा गांव स्थित रविंद्र बाल संस्कार स्कूल में एक प्रेरणादायक पहल के तहत ‘बाल संसद’ का गठन किया गया। इस विशेष आयोजन का उद्देश्य बच्चों को नेतृत्व, जिम्मेदारी, संविधानिक समझ और सामाजिक चेतना से जोड़ना रहा। विद्यालय प्रबंधन ने बच्चों को विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपकर उन्हें स्वानुशासन और निर्णय क्षमता का व्यावहारिक अनुभव दिलाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्कूल के निदेशक सह प्रधानाध्यापक सिकन्दर बुड़ीउली ने बच्चों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, “ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का गिरता स्तर हम सभी के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में हमें मिलकर शिक्षा को सशक्त करना होगा और नशा जैसी सामाजिक बुराइयों से भी बच्चों को दूर रखना होगा। बाल संसद जैसे प्रयास बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में अग्रसर करते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय में केवल किताबी ज्ञान ही पर्याप्त नहीं, बल्कि बच्चों को सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और संवैधानिक मूल्यों की भी शिक्षा देनी होगी, जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो सके।
बाल मंत्रिमंडल में बच्चों को निम्नलिखित पदों की जिम्मेदारी दी गई:
प्रधानमंत्री – सावन अल्डा
उप प्रधानमंत्री – स्वीटी ठाकुर
शिक्षा एवं अनुशासन मंत्री – सूर्यप्रकाश दिग्गी
उप शिक्षा एवं अनुशासन मंत्री – सावन मछुवा
जल एवं स्वच्छता मंत्री – नरेंद्र बुड़ीउली
उप जल एवं स्वच्छता मंत्री – हर्ष बुड़ीउली
स्वास्थ्य मंत्री – अनिल बुड़ीउली
उप स्वास्थ्य मंत्री – प्रीतम गोप
खेल मंत्री – घनश्याम हेस्सा
उप खेल मंत्री – कृष्णा सावैयाँ
पर्यावरण मंत्री – जॉन खंडाईत
उप पर्यावरण मंत्री – अयान मछुवा
सांस्कृतिक मंत्री – सिद्धेश्वर सावैयाँ
इसके साथ ही शिक्षकों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया ताकि बच्चों का मार्गदर्शन निरंतर होता रहे:
अनुशासन मंत्री – शिवनाथ बिरुवा
सांस्कृतिक मंत्री – सरिता सरिमा
जल एवं स्वास्थ्य मंत्री – सुजाता मुंडरी
खेल मंत्री – जमुना बिरूवा
शिक्षा मंत्री – सावित्री गुइया
स्वास्थ्य मंत्री – मनीषा हेम्ब्रम
पर्यावरण मंत्री – जीवन तमसोय
इस प्रेरक कार्यक्रम में बच्चों ने न केवल उत्साह से भाग लिया बल्कि नेतृत्व का आत्मविश्वास भी दिखाया। आयोजन में समस्त शिक्षक-शिक्षिकाएं, अभिभावक एवं स्थानीय गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। बाल संसद के गठन से न केवल विद्यालय में अनुशासन एवं जागरूकता आएगी, बल्कि आने वाले वर्षों में ये बच्चे देश, राज्य एवं समाज के नेतृत्वकर्ता के रूप में अपनी भूमिका निभाएंगे।
“बदलाव की नींव स्कूल से ही रखी जाती है, और असुरा के इस विद्यालय में यह नींव मजबूत हो चुकी है।”