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झारखंड में लागू हुआ शव न रोके जाने का आदेश, भाजपा ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का जताया आभार*   *क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट और पेशेंट राइट्स चार्टर के तहत निर्णय लागू, कांग्रेस पर भाजपा का पलटवार* 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

चाईबासा: झारखंड में अब निजी अस्पताल किसी मरीज की मृत्यु के बाद बकाया बिल के कारण शव को नहीं रोक सकेंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा “क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट” एवं “पेशेंट राइट्स एंड रिस्पांसिबिलिटी चार्टर” के तहत दिए गए निर्देशों के अनुपालन में राज्य सरकार ने इसे लागू कर दिया है।

झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने 9 मई को राज्य के सभी उपायुक्तों और सिविल सर्जनों को पत्र जारी कर निर्देश दिया कि निजी अस्पतालों को इस कानून का पालन अनिवार्य रूप से सुनिश्चित कराया जाए।

 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पिछड़ा जाति मोर्चा के प्रदेश मंत्री हेमन्त कुमार केशरी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा को पत्र भेजकर आभार जताया है। केशरी ने कहा कि यह फैसला मानवीय दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है और इससे मृतक के परिजनों को आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना से राहत मिलेगी।

 

उन्होंने कहा, “मृत्यु उपरांत बिल का भुगतान न कर पाने की स्थिति में शव रोकने की अमानवीय परंपरा को समाप्त करना एक सराहनीय कदम है। हम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री नड्डा जी को झारखंड की जनता की ओर से धन्यवाद देते हैं।”

 

साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी के एक जिला प्रवक्ता ने इस विषय पर तथ्यहीन और भ्रामक बयान देकर जनता को गुमराह करने का प्रयास किया। केशरी ने कहा कि “संविधान की दुहाई देने वाली कांग्रेस को स्वास्थ्य मंत्रालय की कार्यप्रणाली की जानकारी नहीं है। यह अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है और इसे राजनीतिक रंग देना दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा उनके इस ओछे बयान की कड़ी निंदा करती है।”

 

यह आदेश राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था में मानवीय संवेदनाओं को प्राथमिकता देने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी।

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