आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर गूंगी-बहरी हो जाती है झारखंड सरकार : चम्पाई सोरेन*
न्यूज़ लहर संवाददाता
रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने आज रांची में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य सरकार पर पुरजोर हमला बोला। कानून-व्यवस्था एवं महिला सुरक्षा के मुद्दे पर राज्य सरकार को पूरी तरह से विफल बताते हुए उन्होंने कई गंभीर आरोप लगाये।
उन्होंने आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व की लड़ाई में स्पेशल टास्क फोर्स बनाकर बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहंगिया की पहचान कर उन्हें होल्डिंग सेंटर भेजने का निर्देश राज्य सरकार को देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं गृह मंत्री श्री अमित शाह के प्रति आभार जताया।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बांग्लादेशी घुसपैठियों एवं रोहंगिया की पहचान के लिए राज्य सरकार को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसके तहत हर जिले में इन अवैध घुसपैठियों की पहचान के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाई जाएगी। इस से घुसपैठियों को पहचानना तथा उन्हें डिपोर्ट करना आसान होगा।
राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि पिछली बार जब हाई कोर्ट ने इन घुसपैठियों की पहचान हेतु कमिटी बनाने का आदेश दिया था, तो झारखंड सरकार उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। इस बार उनके पास ऐसा कोई विकल्प नहीं है, तो उम्मीद है कि इस राज्य के आदिवासियों-मूलवासियों का हक मार रहे, इन लाखों घुसपैठियों को बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू होगी।
*रेपिस्ट को इनाम देने से अपराधियों का मनोबल बढ़ेगा, महिलाओं पर खतरा बढ़ेगा*
महिला सुरक्षा के मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरते हुए उन्होंने पूछा कि क्या वोट बैंक के लिए सरकार रेपिस्ट को इनाम देगी? बोकारो की एक बहुचर्चित घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा का अधिकार हर किसी को है और ऐसे अपराधियों से किसी को भी सहानुभूति नहीं होनी चाहिए।
लेकिन झारखंड के एक मंत्री ने जिस प्रकार उस रेपिस्ट को विक्टिम साबित करने की कोशिश करते हुए उसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से 1 लाख, मुख्यमंत्री की ओर से 1 लाख तथा सरकार की सहायता राशि एवं स्वास्थ्य विभाग में नौकरी देने की घोषणा की, वह शर्मनाक है।
उन्होंने पूछा कि क्या इस से रेपिस्टों को प्रोत्साहन नहीं मिलेगा? क्या हमारी बेटियाँ अब ज्यादा असुरक्षित नहीं हो जायेंगी? क्या यही दिन देखने के लिए अलग झारखंड राज्य बनाया गया था?
*आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने धर्मांतरण के मुद्दे पर ऐतिहासिक फैसला दिया*
पिछले दिनों आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले का जिक्र करते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि जो व्यक्ति धर्म बदल कर ईसाई बन जाता है, वह दलित अथवा आदिवासी नहीं रह जाता है। हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि ईसाई धर्म जाति व्यवस्था को मान्यता नहीं देता है, इसलिए धर्म परिवर्तन के साथ ही, आप एससी/एसटी को मिलने वाले अधिकार खो देते हैं। इस से पहले नवंबर 2024 में, अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भी यही बात कही थी।
फिर ईसाई बनने के बाद यहाँ लोग आदिवासी समाज को मिल रहे आरक्षण में कैसे अतिक्रमण कर रहे हैं?
आदिवासियों की पहचान उनकी विशिष्ट संस्कृति, परंपराओं, भाषा, और जीवनशैली में निहित है। हम पेड़ के नीचे बैठ कर पूजा करने वाले लोग हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक, हमारे जीवन के सभी संस्कारों को पाहन, पड़हा राजा, मानकी मुंडा एवं मांझी परगना पूरा करवाते हैं, जबकि धर्म परिवर्तन के बाद वे लोग इसके लिए चर्च में जाते हैं।
जिस किसी ने भी धर्म परिवर्तन कर लिया अथवा आदिवासी जीवनशैली का त्याग कर दिया, उनसे हमें कोई दिक्कत नहीं है। आप जहाँ हैं, आराम से रहिए, लेकिन उन्हें भारतीय संविधान द्वारा आदिवासी समाज को दिए गए आरक्षण के अधिकार में अतिक्रमण करने का कोई अधिकार नहीं है।
*आदिवासी समाज से माफी मांगे कांग्रेस*
अगले हफ्ते कांग्रेस द्वारा सरना धर्म कोड के लिए प्रस्तावित प्रदर्शन पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस को आदिवासियों के मुद्दे पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। अंग्रेजों के समय से चले आ रहे आदिवासी धर्म कोड को इसी कांग्रेस ने 1961 की जनगणना में हटा दिया था।
आदिवासी समाज की पहचान छीनने के लिए और कई बार आंदोलन कर रहे आदिवासियों पर गोली चलवाने के लिए राहुल गांधी एवं मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को देश भर के आदिवासी समाज से माफी माँगनी चाहिए।
उन्होंने दावा किया कि अगर भाजपा के नेतृत्व वाली अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार सत्ता में नहीं आती तो झारखंड राज्य नहीं बना होता। संथाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भी भाजपा की सरकार ने ही किया था।