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26वीं जतरा कप क्रिकेट टूर्नामेंट का भव्य समापन, सरना ब्रदर्स जमशेदपुर बना विजेता* 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

चाईबासा: हर वर्ष की तरह इस बार भी आदिवासी उरांव समाज द्वारा आयोजित पारंपरिक पर्व ‘जतरा’ के अवसर पर 26वीं जतरा कप क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन चाईबासा के एसोसिएशन ग्राउंड में हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। दो दिवसीय इस प्रतियोगिता में झारखंड के विभिन्न जिलों सहित अन्य राज्यों से कुल 24 टीमों ने भाग लिया, जिसमें सभी खिलाड़ी उरांव समाज से संबंधित थे।

इस बार की प्रतियोगिता में सरना ब्रदर्स, जमशेदपुर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए खिताब अपने नाम किया, जबकि राखा टीम, चक्रधरपुर उपविजेता रही। टूर्नामेंट में खिलाड़ियों ने दमदार खेल का प्रदर्शन किया। एक विशेष पहल के तहत क्वार्टर फाइनल में हारने के बावजूद एक टीम को लॉटरी के माध्यम से सेमीफाइनल खेलने का मौका दिया गया, जिसने टूर्नामेंट को और भी रोमांचक बना दिया।

मुख्य अतिथि बहमन टुट्टी (सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी) ने समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि उरांव समाज बीते 25 वर्षों से लगातार इस टूर्नामेंट का आयोजन करता आ रहा है। ऐसे आयोजनों से समाज को एकजुटता के साथ शारीरिक और मानसिक विकास का भी अवसर मिलता है। मैं आयोजकों को साधुवाद देता हूं।”

 

समारोह में वन क्षेत्र पदाधिकारी शंकर भगत, पूर्व मंत्री बड़कुंवर गागराई के प्रतिनिधि बिरजू रजक, कांग्रेस प्रवक्ता त्रिशानु रॉय, तथा समाजसेवी सुनील प्रसाद साव, दीपक खेरवाल और अभिषेक मिश्रा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उरांव समाज संघ के प्रमुख पदाधिकारी संचू तिर्की, सहदेव किस्पोट्टा, अनिल लकड़ा, लालू कुजूर समेत बड़ी संख्या में महिलाएं और समाज के गणमान्य लोग शामिल हुए।

 

*पुरस्कार वितरण में:*

 

बेस्ट बॉलर: पवन तिर्की

 

मैन ऑफ द मैच: आयुष तिर्की

 

हैट्रिक विकेट और हैट्रिक छक्का लगाने वाले खिलाड़ियों को भी विशेष पुरस्कार से नवाजा गया।

 

 

धन्यवाद ज्ञापन उरांव समाज संघ के सलाहकार सहदेव किस्पोट्टा ने किया। आयोजन को सफल बनाने में समाज के कार्यकर्त्ता संभू टोप्पो, पंकज खलखो, संजय नीमा, बंटी मिंज, किशन बरहा सहित दर्जनों सदस्य दिन-रात जुटे रहे।

 

समापन समारोह में समाज की महिलाओं की भी उल्लेखनीय भागीदारी रही, जिन्होंने आयोजन को गरिमामय बनाने में अहम भूमिका निभाई।

यह टूर्नामेंट न केवल खेल भावना का प्रतीक बना, बल्कि उरांव समाज की एकजुटता, संस्कृति और परंपरा का भी जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया।

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