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कुजू डैम और शराब नीति पर महेंद्र जामुदा का तीखा हमला, कहा – आदिवासी अस्मिता से किया गया वादा टूट गया

 

मनोहरपुर/चाईबासा: झारखंड की मौजूदा सरकार पर आदिवासियों के साथ विश्वासघात का आरोप लगाते हुए मनोहरपुर विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी महेंद्र जामुदा ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनाव से पहले जो वादे किए थे, वे अब पूरी तरह से टूट चुके हैं। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन ने जहां नशा और जमींदारी के खिलाफ आंदोलन कर आदिवासी अस्मिता की लड़ाई लड़ी थी, वहीं उनके बेटे हेमंत सोरेन आज सत्ता में रहकर उसी अस्मिता को कुचलने का काम कर रहे हैं।

महेंद्र जामुदा ने आरोप लगाया कि गांव-गांव में शराब बिक्री को लेकर टी.ए.सी की बैठक में ग्राम सभाओं से सहमति लेने की योजना, और कुजू डैम निर्माण को दोबारा शुरू करने की स्वीकृति, आदिवासी समुदाय के अस्तित्व पर सीधा प्रहार है।

उन्होंने कहा, “हेमंत सोरेन ने चुनाव के दौरान ऐलान किया था कि अगर हमारी सरकार बनी तो कुजू डैम नहीं बनेगा, और अगर बनेगा, तो मेरी लाश पर बनेगा। आज वही डैम फिर से शुरू किया जा रहा है। क्या यह वादा झूठा नहीं था?”

महेंद्र जामुदा ने कहा कि 126 गांवों के ग्रामीणों का समर्थन लेकर हेमंत सोरेन ने सत्ता हासिल की, लेकिन अब वे उन्हीं ग्रामीणों की आवाज सुनने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने निरल पूर्ति को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि “जिन्होंने ग्रामीणों के भरोसे पर विधायक की कुर्सी पाई, वे भी अब मौन व्रत धारण कर बैठे हैं। विस्थापितों का दर्द किसी को नजर नहीं आ रहा।”

आदिवासी महिलाओं के स्वावलंबन की बात करते हुए जामुदा ने कहा, “जो महिलाएं आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रही थीं, उन्हें सड़क किनारे हाड़िया बेचने से रोका गया। लेकिन आज सरकार खुद गांव-गांव शराब बेचवाने में लगी है। यह कहां तक न्यायसंगत है?”

उन्होंने कांग्रेस और टी.ए.सी. के सदस्यों की चुप्पी पर भी सवाल उठाया और कहा कि “आज वे भी तानाशाही के इस दौर में मौन साधे बैठे हैं।”

महेंद्र जामुदा ने अंत में चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आदिवासियों की अस्मिता के खिलाफ कोई भी फैसला लिया गया, तो वे और उनका संगठन इसका सड़कों पर उतरकर जोरदार विरोध करेंगे।

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