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अंकुवा मोड से चिड़िया माइंस जाने वाली रास्ता सालों से जर्जर कोई सुधि लेने वाला नहीं – – नन्दलाल कुमार गुप्ता जर्जर सड़क दुर्घटना का पर्याय बन चुकी है

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

मनोहरपुर ।पश्चिम सिंहभूम के समाजसेवी नन्दलाल कुमार गुप्ता ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि झारखण्ड राज्य अलग तो हो गई पर आज भी राज्य के कई क्षेत्र विकास सें कोसो दूर है। उन्होने कहा कि वर्तमान में अंकुवा मोड से चिड़िया माइंस जाने वाली रास्ता विगत सालों से जर्जर एवं मृत प्राय स्थिति में देखा जा रहा है । इस सड़क को बनाने के लिए सरकार को आगे आनी चाहिए एवं लोगों का सच्चा मसीहा साबित कर जनकल्याण का कार्य करना चाहिए ।समाजसेवी नन्दलाल कुमार गुप्ता ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध मनोहरपुर ओर माइन्स चिरिया सरकार को प्रति माह करोड़ों रुपये का राजस्व देती है, पर चिरिया-अंकुआ पीडब्ल्यूडी 5 किमी सड़क आज तक पक्की नही बन पाई। वर्षों से यह सड़क जर्जर पड़ी है। हालांकि पिछले 10 सालों में इस सड़क का दो बार निर्माण कार्य शुरू हुआ, पर काम पूरा नही हुआ। पिछली बार वर्ष 2012 में सारंडा एक्शन प्लान में कार्य के दौरान उक्त सड़क का निर्माण कार्य भी स्वीकृत हुआ।

यह सड़क एनपीसीसी द्वारा बनाई जानी थी, पर 18 जुलाई 2012 में 357.18 लाख की लागत से सड़क निर्माण का अंकुआ चौक के पास सड़क किनारे बोर्ड तो लगा, पर काम शुरू नहीं हुआ।समाजसेवी नन्दलाल कुमार गुप्ता ने बताया कि

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित परियोजना से एनपीसीसी द्वारा सड़क का निर्माण कार्य निर्माण कंस्ट्रक्सन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाना था। लगभग 10 साल होने को हैं, सड़क निर्माण में सिर्फ सूचना बोर्ड लगाने के सिवाय कोई कार्य नही हुआ। तीन गांव के हजारों लोगों के साथ साथ चिरिया माइन्स से जुड़े अधिकारी, पदाधिकारी, कर्मचारी व चिरिया आने जाने वाले लोग जर्जर कच्ची सड़क का उपयोग करने को विवश हैं। इस पर न तो सेल प्रबंधन, न राज्य सरकार, न ही कोई जनप्रतिनिधि गंभीरता दिखा रहे हैं। जर्जर सड़क के कारण आए दिन कोई न कोई दुर्घटना भी होती रहती है। बरसात के दिनों में तो इस सड़क पर चलना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। जर्जर 5 किमी सड़क से प्रभावित लोगों का कहना है कि चिरिया माइन्स के लोहा पत्थर से कई बड़े शहर चकाचौंध हैं, पर चिरिया व इस क्षेत्र के लोगों की स्थिति दयनीय है। सेल प्रबन्धन को भी सिर्फ चिरिया माइन्स से किसी तरह लोहा पत्थर निकाल ले जाने से मतलब रह गया है। क्षेत्र का विकास व क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को पूरी तरह सेल अनदेखा कर रही है। आने वाला दिनों में क्षेत्र की जनता आक्रोश में लौह अयस्क खदान का उत्पादन ठप कर लौह अयस्क का डिस्पैच भी बंद कर देने को विवश हो जाएगी। तब जाकर शायद सेल प्रबन्धन व सरकार सड़क निर्माण की दिशा में सार्थक पहल करे।

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