विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वृक्षारोपण किया जाना अत्यन्त अनिवार्य है —शंकर भगत

गुवा
ससंगदा प्रक्षेत्र, किरीबुरू वन क्षेत्र पदाधिकारी शंकर भगत ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वृक्षारोपण किया जाना अत्यन्त अनिवार्य है।मूकदर्शक बन मानव से रक्षा की उम्मीद लगाने वाले पक्षी गौरैया को आश्रय देना एक पुण्य का कार्य है । वर्तमान विश्व पर्यावरण दिवस का मकसद है लोगों को पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक और सचेत करना चाहिए।
एशिया प्रसिद्ध सारंडा जंगल में अभी से पड़ रही भीषण गर्मी एवं नदी, प्राकृतिक झरने आदि सूखने लगे हैं । इससे लोगों की चिंता बढ़ गई है । सारंडा की लाईफ लाईन कही जाने वाली कारो (उद्गम स्थल कोईड़ा, ओड़िसा), कोयना नदी (उद्गम स्थल भनगाँव, सारंडा) एवं सरोखा उर्फ सोना नदी (उद्गम स्थल सुकरी माईन्स की तलहटी, सारंडा) नदी वर्तमान में नाला व पथरीली रास्ते का रूप धारण करती जा रही है ।अगर इसके संरक्षण हेतु सरकारी, समाजिक व औद्योगीक घराने स्तर पर प्रयास नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में सारंडा में अनेकानेक समस्या दिखेगी।
पानी का बहाव व नदी की गहराई देख डर जाया करता था ।नदी की मछलियों को मारने के लिये खादानों के विषफोटक (जिलेटीन) का लोग प्रयोग करते थे तथा दरीयाई घोड़ा से लेकर मगरमच्छ तक विचरन करते थे ।आज हालत यह है कि नदी की गहराई खादानों से आने वाली फाईन्स व मिट्टी-पत्थर से दो-दो मीटर तक भर चुकी है, पानी का ठहराव नहीं है, मछलियाँ दिखना एक स्वप्न के समान है एंव दर्जनों गांवों के हजारों परिवारों का प्यास बुझाने तथा खेतों को सिंचने वाली यह नदी स्वयं आज प्यासी है । नदी को देखने से ऐसा लगता है जैसे नयी सड़क बनाने से पूर्व किसी ने गिट्टी, पत्थर, बालू, फाईन्स डाल समतल करने का कार्य किया हो