निर्जला एकादशी व्रत 2025 : तिथि, पारण समय, पूजन विधि और महत्व
न्यूज़ लहर संवाददाता
यूपी:इस वर्ष निर्जला एकादशी व्रत 7 जून 2025, शनिवार को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह एकादशी तिथि वृद्धि के कारण दो दिनों में पड़ रही है। 6 जून को भी एकादशी तिथि पूरे दिन रहेगी, इसलिए कुछ श्रद्धालु इस दिन भी व्रत रख सकते हैं। परंतु शास्त्रों के अनुसार, जब एकादशी दो दिनों में फैली हो तो द्विसभ्य व्रत श्रेष्ठ माना गया है। ऐसे में जो व्रत 7 जून को रखते हैं, वे 6 जून को सात्विक भोजन ग्रहण कर पवित्रता से दिन व्यतीत करें और व्रत का पारण 8 जून, रविवार को सूर्योदय से पूर्व 7:10 बजे तक करना शुभ रहेगा। वहीं, 6 जून को व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को पारण 7 जून को दोपहर 2:00 बजे के बाद ही करना चाहिए।
निर्जला एकादशी का व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें अन्न और जल दोनों का त्याग किया जाता है। हालांकि, स्वास्थ्य कारणों या आवश्यकता पड़ने पर फल, दूध, मेवा आदि का सेवन किया जा सकता है, लेकिन तामसिक भोजन और अन्न का सेवन पूरी तरह वर्जित है। व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें। घर के मंदिर में दीप-धूप प्रज्वलित करें, भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें, पुष्प और तुलसी पत्र अर्पित करें। सात्विक भोग लगाकर आरती करें और व्रत कथा का श्रवण करें। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा भी शुभ मानी जाती है।
व्रत के दिन दान का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, बच्चों, बुजुर्गों या सत्चरित्र व्यक्तियों को फल, वस्त्र, घड़ा, छाता, पंखा, चप्पल, जल पात्र, दक्षिणा आदि दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत काल में भीमसेन कभी उपवास नहीं कर पाते थे। तब वेदव्यास जी ने उन्हें निर्जला एकादशी व्रत करने की सलाह दी और कहा कि इस एक व्रत के पुण्य से उन्हें वर्ष भर की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होगा। इस व्रत को करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और अंत में बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
व्रत के दिन रामनाम जप, गायत्री मंत्र, श्रीरामचरितमानस, भगवद्गीता, विष्णु सहस्रनाम या अपने गुरु द्वारा दिए गए मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायी होता है। कम बोलना, मौन रहना और ध्यान करना ऊर्जा और शांति प्रदान करता है। जो लोग उपवास न कर सकें, वे भी तामसिक भोजन से बचें, सात्विक आचरण करें और प्रभु का स्मरण करते हुए दिन को पवित्रता से व्यतीत करें। चावल, लहसुन-प्याज आदि वर्जित हैं। सनातन धर्म की इस दिव्य परंपरा में भाग लेकर आत्मा की शुद्धि और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
पंचांग की जानकारी केवल सामान्य मार्गदर्शन के लिए है। स्थान विशेष के अनुसार सूर्योदय, चंद्रोदय, राहुकाल, अभिजीत मुहूर्त आदि समयों में भिन्नता हो सकती है। अधिक सटीक जानकारी के लिए अपने निकटस्थ योग्य ब्राह्मण या ज्योतिषाचार्य से परामर्श करें। आज के दिन को धर्ममय और सफल बनाने हेतु पंचांग अवश्य देखें और राम नाम स्मरण तथा श्रीहरि भक्ति के साथ दिन का आरंभ करें।