Regional

ईचा डैम प्रभावित क्षेत्रों में सुविधाएं बहाल करने की मांग, रायरंगपुर में सौंपा गया ज्ञापन कोल्हान और मयूरभंज की संयुक्त इकाई ने उठाई आवाज, कहा मौलिक अधिकारों का हो संरक्षण न्यूज़ लहर संवाददाता रायरंगपुर।उड़ीसा में ईचा-खरकई डैम से प्रभावित गांवों में मौलिक अधिकारों और मूलभूत सुविधाओं की बहाली को लेकर कोल्हान ईचा डैम विरोधी संघ और नवगठित मयूरभंज इकाई ने संयुक्त रूप से मयूरभंज के उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी हेमाकांत सोय से मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने एक मांग पत्र सौंपते हुए जनहित से जुड़ी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की। ज्ञात हो कि झारखंड के ईचा ग्राम में बन रहे ईचा डैम के कारण कोल्हान क्षेत्र के 87 गांव और उड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिला अंतर्गत तिरिंग प्रखंड के 39 गांव डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि उड़ीसा सरकार द्वारा बिना समुचित पुनर्वास और मुआवजा दिए ही प्रभावित गांवों में मौलिक अधिकार युक्त सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा की सेवाएं बंद कर दी गई हैं। उन्होंने मांग की कि इन सुविधाओं को तत्काल पुनः बहाल किया जाए। इस अवसर पर आयोजित जनसभा में क्षेत्र में चल रहे जन आंदोलन पर भी चर्चा हुई। प्रतिनिधियों ने बताया कि झारखंड उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में इस विषय पर विचाराधीन मामलों के साथ-साथ झारखंड की जनजातीय परामर्शदातृ परिषद द्वारा ईचा डैम परियोजना को रद्द करने की पूर्व अनुशंसा का भी हवाला दिया गया। उपायुक्त श्री सोय ने प्रतिनिधियों की बातों को गंभीरता से सुनते हुए उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में बीर सिंह बिरुली, रेयांश सामड, सुरेश सोय, रविन्द्र अल्डा, घनश्याम कालुंडिया, चैतन्य बास्के, गुलाराम मुर्मू, सुंदर बास्के, सोनाराम मुर्मू, अजय कुमार पिंगुआ, सुर सिंह अल्डा, सेढ़ेगा अल्डा और समीर पिंगुवा शामिल थे। यह आंदोलन डूब क्षेत्र के निवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार सक्रिय बना हुआ है।

 

न्यूज़ लहर संवाददाता
रायरंगपुर।उड़ीसा में ईचा-खरकई डैम से प्रभावित गांवों में मौलिक अधिकारों और मूलभूत सुविधाओं की बहाली को लेकर कोल्हान ईचा डैम विरोधी संघ और नवगठित मयूरभंज इकाई ने संयुक्त रूप से मयूरभंज के उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी हेमाकांत सोय से मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने एक मांग पत्र सौंपते हुए जनहित से जुड़ी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की।

ज्ञात हो कि झारखंड के ईचा ग्राम में बन रहे ईचा डैम के कारण कोल्हान क्षेत्र के 87 गांव और उड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिला अंतर्गत तिरिंग प्रखंड के 39 गांव डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि उड़ीसा सरकार द्वारा बिना समुचित पुनर्वास और मुआवजा दिए ही प्रभावित गांवों में मौलिक अधिकार युक्त सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा की सेवाएं बंद कर दी गई हैं। उन्होंने मांग की कि इन सुविधाओं को तत्काल पुनः बहाल किया जाए।

इस अवसर पर आयोजित जनसभा में क्षेत्र में चल रहे जन आंदोलन पर भी चर्चा हुई। प्रतिनिधियों ने बताया कि झारखंड उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में इस विषय पर विचाराधीन मामलों के साथ-साथ झारखंड की जनजातीय परामर्शदातृ परिषद द्वारा ईचा डैम परियोजना को रद्द करने की पूर्व अनुशंसा का भी हवाला दिया गया।

उपायुक्त श्री सोय ने प्रतिनिधियों की बातों को गंभीरता से सुनते हुए उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।

प्रतिनिधिमंडल में बीर सिंह बिरुली, रेयांश सामड, सुरेश सोय, रविन्द्र अल्डा, घनश्याम कालुंडिया, चैतन्य बास्के, गुलाराम मुर्मू, सुंदर बास्के, सोनाराम मुर्मू, अजय कुमार पिंगुआ, सुर सिंह अल्डा, सेढ़ेगा अल्डा और समीर पिंगुवा शामिल थे।
यह आंदोलन डूब क्षेत्र के निवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार सक्रिय बना हुआ है।

Related Posts