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आदिवासी समाज की हक की लड़ाई: बिरसा सेना और ग्राम सभाओं ने 10 सूत्री मांगों को लेकर किया धरना प्रदर्शन

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर। धरती आबा बिरसा मुंडा के बलिदान दिवस पर सोमवार को आदिवासी समाज की हक और अधिकार की आवाज बुलंद करते हुए बिरसा सेना और समस्त ग्राम सभाओं ने जिला उपायुक्त कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया। ‘हुल जोहार’ के नारों से वातावरण गूंज उठा। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने 10 सूत्री मांगों को जोर-शोर से रखा और सरकार को चेताया कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे उग्र आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।

धरना स्थल पर आयोजित सभा में बिरसा सेवा दल के अध्यक्ष दिनकर कच्छप ने कहा कि धरती आबा बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी, लेकिन आज भी आदिवासी समाज उनके सपनों से कोसों दूर है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीओ कार्यालय से लगातार ग्राम सभा की जमीनें बेची जा रही हैं, जो पूरी तरह गलत है और इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।

प्रदर्शनकारियों ने झारखंड सरकार की प्रस्तावित शराब नीति का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार को ग्रामीण इलाकों में शराब की बिक्री बढ़ाने के बजाय शिक्षा और रोजगार की नीतियां लागू करनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शराब नीति लागू की गई, तो इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।

धरना में शामिल प्रतिनिधियों ने झारखंड पंचायती राज प्रणाली को खारिज करते हुए पेसा कानून की मांग की। उनका कहना था कि पंचायती राज व्यवस्था आदिवासी परंपराओं के अनुकूल नहीं है, इसलिए ग्राम सभा और माझी-प्रगना प्रणाली को बहाल किया जाना चाहिए।

अंत में प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यदि सरकार ने उनकी 10 सूत्री मांगों पर कार्रवाई नहीं की, तो वे आदिवासी समाज के हितों की रक्षा के लिए आंदोलन को और तेज करेंगे।

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