झामुमो प्रवक्ता को आदिवासी और अल्पसंख्यक अधिकारों की समझ नहीं: बिर सिंह बिरुली झामुमो पर लगाया दोहरी नीति अपनाने और तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप

चाईबासा: अनुसूचित जाति/जनजाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ, पश्चिमी सिंहभूम के सचिव बिर सिंह बिरुली ने झामुमो जिला प्रवक्ता बुधराम लागुरी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि झामुमो के प्रवक्ता को भारतीय संविधान में वर्णित आदिवासी और अल्पसंख्यक अधिकारों की सही जानकारी नहीं है। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 की गहराई से समझने की जरूरत है।
बिरुली ने कहा कि उन्होंने हाल ही में झामुमो द्वारा गठित अल्पसंख्यक मोर्चा पश्चिमी सिंहभूम जिला समिति में रघुनाथ तियु को सचिव और निर्दोष बोदरा को कोषाध्यक्ष बनाए जाने पर सवाल उठाया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये दोनों पदाधिकारी धर्मांतरण कर चुके आदिवासी समुदाय से हैं, जिसे झामुमो अल्पसंख्यक मान रही है। उन्होंने पूछा कि “क्या इन दोनों व्यक्तियों को अल्पसंख्यक पदाधिकारी बनाने का कोई संवैधानिक आधार है? क्या वे आदिवासी हैं या अल्पसंख्यक?”
बिरुली ने आरोप लगाया कि झामुमो अब अल्पसंख्यकों के अधिकारों का भी हनन करने पर उतारू हो गई है। उन्होंने झामुमो प्रवक्ता से सार्वजनिक रूप से अल्पसंख्यक समुदाय से माफी मांगने की मांग की है।
उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि अगर झामुमो धर्मांतरित आदिवासियों को अल्पसंख्यक मानते हुए उन्हें पदाधिकारी बना सकती है, तो फिर पार्टी विधायक निरल पुरती को भी अल्पसंख्यक उपाधि दे। उन्होंने सवाल किया कि क्या पार्टी इसके लिए तैयार है? अगर नहीं, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि झामुमो दोहरी नीति अपनाकर आदिवासी और अल्पसंख्यकों को गुमराह कर रही है और राजनीतिक लाभ के लिए तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है।
बिरुली ने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी सस्ती और भटकाने वाली राजनीति अब ज्यादा दिन नहीं चलने वाली। सभी वर्गों को समान अधिकार मिलना चाहिए और किसी समुदाय के अधिकारों का हनन स्वीकार नहीं किया जाएगा।