भ्रष्टाचार पर बड़कुंवर गागराई की आशंका हुई सच साबित: जमशेदपुर में टेंडर माफिया का खुलासा, अफसर के हटते ही बेनकाब हुआ पूरा सिस्टम

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर:पूर्व मंत्री बड़कुंवर गागराई द्वारा ग्रामीण कार्य विभाग में टेंडर घोटाले को लेकर उठाए गए सवाल अब सच साबित हो रहे हैं। उन्होंने सबसे पहले रजग सरकार पर टेंडर माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाया था और जांच की मांग की थी। अब अभियंता राजेश रजक को निविदा प्रक्रिया से हटाए जाने के बाद विभाग के भीतर छिपा भ्रष्टाचार खुद-ब-खुद उजागर होने लगा है।
पूर्व मंत्री बडकुवंर गागराई ने बुधवार को बताया कि राजेश रजक की मौखिक छुट्टी के बाद विभाग में महीनों से अटकी सैकड़ों निविदाओं की तकनीकी जांच प्रक्रिया अचानक शुरू हो गई। अब जिन टेंडरों को रजक दबाए हुए था, वे एक-एक कर खोले जा रहे हैं, जिससे साफ है कि अभियंता प्रमुख कार्यालय उन्हीं के इशारों पर चल रहा था। रजक और मुख्य अभियंता श्रवण कुमार की मिलीभगत से टेंडर में चहेते ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाया जा रहा था।
रजक पर आरोप है कि उसने जमशेदपुर प्रमंडल में 62 में से 24 बड़ी निविदाएं अपने खास ठेकेदारों को दिलवाईं, जिनकी कुल राशि 190 करोड़ रुपये है। बदले में वह ठेके की राशि का 12% तक कमीशन वसूलता था, जिसमें 10% वह खुद रखता और 2% मंत्री को पहुंचाता था। डिजिटल सिग्नेचर का दुरुपयोग कर छुट्टियों में टेंडर प्रकाशित करता, ताकि नए ठेकेदार शामिल न हो सकें।
फर्जी प्राक्कलन, जल्दी सिक्योरिटी रिफंड, एडवांस भुगतान और मापन में धांधली जैसे कई गंभीर आरोप राजेश रजक पर हैं। ठेकेदारों को ब्लैकमेल कर पैसे वसूलने की भी बात सामने आई है।
इस पूरे प्रकरण ने विभागीय कार्यप्रणाली की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अब जरूरत है उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की, ताकि बड़कुवर गागराई जैसे जनप्रतिनिधियों की चेतावनियों को गंभीरता से लिया जाए और सिस्टम की सड़ांध को खत्म किया जा सके।