कोयना नदी बनी मौत की राह, स्कूल पहुंचना बच्चों के लिए जानलेवा संघर्ष

न्यूज़ लहर संवाददाता
गुवा। पश्चिम सिंहभूम के नक्सल प्रभावित सारंडा क्षेत्र से झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है। गंगदा पंचायत के लेम्बरा गांव के दर्जनों बच्चे हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं। उफनती कोयना नदी को पार करना उनके लिए शिक्षा का नहीं, बल्कि मौत का सफर बन चुका है। लगातार हो रही बारिश ने नदी के जलस्तर को खतरनाक बना दिया है। गांव के बच्चे बिना नाव, पुल या किसी सुरक्षा के रोज़ नदी पार कर स्कूल पहुंचते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि वर्षा ऋतु में गांव चारों ओर से पानी से घिर कर टापू बन जाता है। इस दौरान गर्भवती महिलाएं इलाज के बिना दम तोड़ देती हैं, बीमार अस्पताल नहीं पहुंच पाते, और राशन तक महीनों गांव में नहीं पहुंच पाता। पढ़ाई के प्रति बच्चों का जज़्बा सराहनीय है, लेकिन सरकारी सुविधाओं के अभाव ने उनके लिए स्कूल जाना आत्महत्या जैसा कर दिया है।
पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने पुल निर्माण का सर्वे तो कराया था, लेकिन फाइलें अब भी धूल खा रही हैं। पूर्व जिला पार्षद शंभू पासवान ने कहा, “यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं बल्कि सामाजिक अन्याय है।” उन्होंने वर्तमान सांसद जोबा माझी और विधायक सोनाराम सिंकु को घेरते हुए कहा कि पुल की मांग वर्षों पुरानी है, लेकिन नतीजा शून्य रहा।
ग्रामीणों ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से कोयना नदी पर पुल निर्माण शुरू करने की मांग की है। साथ ही, जब तक पुल नहीं बनता, बच्चों के लिए सुरक्षित नाव, वैकल्पिक परिवहन, चिकित्सा शिविर और राहत केंद्र की व्यवस्था की मांग की है ताकि उनकी जिंदगी मौत के हवाले न रहे।