फासीवाद विरोधी राष्ट्रीय सम्मेलन का आगाज़, चाईबासा, चक्रधरपुर सहित देशभर से जुटे साहित्यकार और बुद्धिजीवी कला और साहित्य के माध्यम से सामाजिक एकता पर जोर

रांची: राजधानी रांची स्थित सोशल डेवलपमेंट सेंटर में जन संस्कृति मंच द्वारा आयोजित 17वें राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ शनिवार को हुआ। दो दिवसीय इस सम्मेलन (12-13 जुलाई) में देशभर से साहित्यकार, फिल्मकार, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी एक मंच पर जुटे, जहां फासीवाद की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया गया।
सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य फासीवादी ताकतों द्वारा फैलाए जा रहे सामाजिक विभाजन, असहिष्णुता और नफरत के माहौल का विरोध करते हुए कला और साहित्य के जरिए जनता की एकता को मजबूत करना है। उद्घाटन सत्र में वक्ताओं ने कहा कि मौजूदा समय में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक अधिकारों और सामाजिक समरसता को गंभीर खतरा है, और ऐसे में साहित्य और संस्कृति समाज को जागरूक करने का सशक्त माध्यम बन सकते हैं।
कार्यक्रम में देशभर के नामचीन साहित्यकारों, फिल्म निर्माताओं और शिक्षाविदों की भागीदारी रही। रांची, चाईबासा और चक्रधरपुर से भी कई साहित्यकारों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया। चक्रधरपुर से जवाहर लाल बाँकिरा और रबिन्द्र गिलुवा, चाईबासा से रबिन्द्र अल्डा तथा रांची से सोनी कुमारी, नीलिमा सुरीन और सरिता मुण्डा की सहभागिता से स्थानीय साहित्य और संस्कृति को राष्ट्रीय मंच पर विशेष पहचान मिली।
सम्मेलन में सामाजिक एकता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतंत्र की रक्षा और सांस्कृतिक प्रतिरोध जैसे विषयों पर गंभीर चर्चा हुई। प्रतिभागियों ने इस आयोजन को समय की मांग बताते हुए इसे समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण पहल बताया।