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उपायुक्त ने बहरागोड़ा के बंबू क्लस्टर का किया निरीक्षण, को-ऑपरेटिव मोड में संचालन के दिए निर्देश

 

जमशेदपुर।पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित बहरागोड़ा प्रखंड अंतर्गत जुगीशोल एवं मानुषमुड़िया में संचालित बंबू क्लस्टर का निरीक्षण उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने सोमवार को किया। इस अवसर पर उन्होंने बांस उत्पादों के निर्माण में लगे कारीगरों से संवाद कर उनके कार्यों की जानकारी ली और आजीविका संवर्धन के दृष्टिकोण से क्लस्टर के सुदृढ़ीकरण हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

एमएसएमई योजना के तहत संचालित जुगीशोल बंबू क्लस्टर में वर्तमान में 70 से अधिक कारीगर कार्यरत हैं, जिन्हें कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। उपायुक्त ने कहा कि इस पहल को और विस्तृत करते हुए अधिक से अधिक स्थानीय कारीगरों, विशेषकर महिलाओं को इससे जोड़ा जाए, जिससे स्वरोजगार को बढ़ावा मिले और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सशक्तिकरण सुनिश्चित हो सके।

निरीक्षण के दौरान उपायुक्त ने बांस उत्पादों की गुणवत्ता, डिज़ाइन और फिनिशिंग पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि पारंपरिक उत्पादों जैसे सूप, टोकरी, डलिया आदि के साथ-साथ आधुनिक बाजार की मांग के अनुरूप फैंसी उत्पाद जैसे पेन स्टैंड, घरेलू सजावट के शोपीस, बंबू के फर्नीचर एवं अन्य आकर्षक उपभोक्ता उत्पाद भी तैयार किए जाएं। उन्होंने स्थानीय उत्पादों को फैशनेबल, आकर्षक और मार्केट-फ्रेंडली बनाने की दिशा में नवाचार लाने की आवश्यकता जताई।

उपायुक्त ने जिला उद्यमी समन्वयक एवं डीपीएम जेएसएलपीएस को निर्देशित किया कि क्लस्टर का संचालन को-ऑपरेटिव मोड में किया जाए और इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया शीघ्र आरंभ की जाए। उन्होंने कहा कि यह मॉडल ग्रामीण महिलाओं के सामूहिक स्वामित्व, निर्णय लेने की क्षमता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा।

महिला कारीगरों से मिला सकारात्मक फीडबैक
निरीक्षण के दौरान उपायुक्त ने पूर्व में झारक्राफ्ट के माध्यम से संचालित मानुषमुड़िया बंबू क्लस्टर का भी निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने स्थानीय महिला कारीगरों से उनके अनुभव एवं इच्छाओं के बारे में जानकारी ली। महिलाओं ने बंबू यूनिट को पुनः संचालित करने की इच्छा जताई। उपायुक्त ने इसे को-ऑपरेटिव मोड में पुनः सक्रिय करने पर बल दिया ताकि यह दीर्घकालिक, टिकाऊ और सहभागी मॉडल के रूप में स्थापित हो सके।

महिलाओं ने उपायुक्त से क्षेत्र में काजू की उपलब्धता को देखते हुए काजू प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने की भी मांग की। उपायुक्त ने इस प्रस्ताव का स्वागत करते हुए सुझाव दिया कि एफपीओ (Farmer Producer Organisation) के माध्यम से इस दिशा में कदम बढ़ाया जाए, जिससे कृषि-आधारित उद्यमिता को प्रोत्साहन मिल सके और व्यापक स्तर पर रोजगार सृजन हो सके।

उपायुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन की प्राथमिकता ग्रामीण आजीविका के सतत विकास, स्वरोजगार सृजन और महिला सशक्तिकरण को सुनिश्चित करना है। इस दिशा में बांस आधारित उत्पाद, कृषि प्रसंस्करण इकाइयाँ, और समूह आधारित उद्यम महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

निरीक्षण के दौरान बीडीओ केशव कुमार, सीओ राजा राम सिंह मुंडा, डीपीएम जेएसएलपीएस सुजीत बारी, जिला उद्यमी समन्वयक, स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं बांस उत्पाद से जुड़े कारीगर उपस्थित थे।

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