31 जुलाई को कोल्हान विश्वविद्यालय में छात्र हित मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करेगी कोल्हान छात्र संघर्ष समिति

चाईबासा: कोल्हान विश्वविद्यालय के छात्र हितों को लेकर कोल्हान छात्र संघर्ष समिति ने एक बार फिर आंदोलन की राह पकड़ी है। समिति के सदस्यों ने आज प्रेस वार्ता कर घोषणा की कि आगामी 31 जुलाई को कोल्हान विश्वविद्यालय परिसर में एकदिवसीय धरना प्रदर्शन किया जाएगा। यह धरना विश्वविद्यालय प्रशासन की उपेक्षा और लंबे समय से लंबित छात्र मुद्दों के समाधान नहीं होने के विरोध में आयोजित किया जा रहा है।
संघर्ष समिति ने बताया कि दिनांक 14 जुलाई 2025 को कुलपति को एक मांग पत्र सौंपा गया था, जिसमें विभिन्न छात्र समस्याओं के समाधान की मांग की गई थी। लेकिन अब तक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गई है।
समिति द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों में सत्र 2017–20, 2018–21 और 2019–22 के छात्रों के लिए जेनेरिक पेपर (GE) द्वितीय की पढ़ाई न कराए जाने का मामला प्रमुख है। छात्रों का कहना है कि उन्हें पाठ्यक्रम के तहत पूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है, जिससे उनका शैक्षणिक भविष्य प्रभावित हो रहा है। समिति की मांग है कि इन सत्रों के छात्रों के लिए GE स्पेशल परीक्षा आयोजित की जाए।
दूसरा बड़ा मुद्दा B.Ed पाठ्यक्रम से जुड़ा है। वर्ष 2015 से अब तक B.Ed में केवल एक मेथड पेपर पढ़ाया जा रहा है, जबकि NCTE के नियमानुसार दो मेथड पेपर अनिवार्य हैं। इससे विद्यार्थियों को मान्यता व नौकरी में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। समिति ने मांग की है कि पाठ्यक्रम में सुधार करते हुए पूर्व छात्रों के लिए भी स्पेशल परीक्षा कराई जाए।
तीसरी मांग कोल्हान विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सत्र को नियमित करने और एकेडमिक कैलेंडर जारी करने से जुड़ी है।
झामुमो छात्र मोर्चा के जिलाध्यक्ष सनातन पिंगुवा ने कहा कि 2015 से लगातार मांग के बावजूद प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, अब हमारे पास आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। वहीं B.Ed की छात्रा कंचन लता गागराई ने कहा कि “मेथड और जेनेरिक पेपर की परीक्षा न होने से कई विद्यार्थी सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन भी नहीं कर पा रहे हैं।”
इस मौके पर छात्र नेता पिपुन बारिक, मंजित हासदा, कंचन गगराई, गिलवान अनवर, किशोर पोद्दार, मोटाय कोंडाखेल, मधुसूदन तिरिया और प्रसंजीत महतो समेत कई छात्र मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में 31 जुलाई को शांतिपूर्ण लेकिन सशक्त धरना देने की बात कही।