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पुनः जिंदा होने के लिए सात घंटे प्रभु यीशु से करते रहे प्रार्थना, पर अंधविश्वास ने नहीं बचाई बेटे की जान

 

चतरा।चतरा जिले के हंटरगंज प्रखंड अंतर्गत पैनीकला गांव में अंधविश्वास का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जहां एक परिवार ने अपने मृत बेटे को जीवित करने की उम्मीद में प्रभु यीशु मसीह से घंटों प्रार्थना की। युवक की मौत गुजरात में इलाज के दौरान हो गई थी, लेकिन परिजनों ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया और अंतिम क्षण तक उसे वापस लाने की कोशिश करते रहे।

पैनीकला निवासी प्रदीप पासवान का 20 वर्षीय पुत्र विक्रम कुमार अहमदाबाद में एक निजी अस्पताल में सोमवार शाम बुखार और दस्त की चपेट में आकर चल बसा। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। बुधवार सुबह युवक का शव एम्बुलेंस से गांव लाया गया, लेकिन शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने की बजाय परिजन उसे घर के एक कमरे में रखकर प्रार्थना करने लगे।

परिवार का विश्वास था कि प्रभु यीशु मसीह उसे दोबारा जीवन दे सकते हैं। उन्होंने घंटों तक धार्मिक अनुष्ठान किए, गीत गाए, प्रार्थना की और हर संभव उपाय आजमाए। मृतक की मां ने किसी को रोने तक नहीं दिया, क्योंकि उन्हें भरोसा था कि उनका बेटा आंखें खोल देगा। परिजन उसे डोभी (बिहार) स्थित एक पादरी के पास ले जाने की तैयारी भी कर रहे थे।

करीब सात घंटे तक प्रयास चलने के बाद जब कोई चमत्कार नहीं हुआ, तब ग्रामीणों और मुखिया ने परिवार को समझाया और आखिरकार उन्हें अंतिम संस्कार के लिए राजी किया गया। इस बीच पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही परिजन शव को श्मशान घाट ले जा चुके थे।

यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अंधविश्वास किस हद तक लोगों की सोच पर हावी है, जहां विज्ञान की स्पष्टता के बावजूद लोग धार्मिक विश्वास के सहारे असंभव को संभव बनाने की उम्मीद पाल लेते हैं।

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