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“लोकल के लिए वोकल” मंत्र को जीवंत कर रहे हैं वर्मा दंपति, जो अपने बगान से उपजे आमों से बना रहे हैं स्वादिष्ट और हेल्दी देसी अचार

 

जमशेदपुर।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए “लोकल के लिए वोकल” के आह्वान को जमशेदपुर के बारीडीह बस्ती निवासी राजेन्द्र कुमार वर्मा और उनकी पत्नी मीना वर्मा अपने जीवन में पूरी सादगी और समर्पण के साथ साकार कर रहे हैं। 67 वर्षीय राजेन्द्र वर्मा और उनकी पत्नी मीना वर्मा सेवानिवृत्त जीवन जीते हुए न केवल बगवानी में रत हैं, बल्कि आम की पैदावार से लेकर अचार और मुरब्बा बनाने तक अपने हाथों से हर काम कर रहे हैं। आज जब बाजार में मिलने वाले अचार में रासायनिक तत्व और प्रिजर्वेटिव की भरमार है, ऐसे में वर्मा दंपति का देसी, घरेलू मसालों से तैयार किया गया अचार स्वाद, पौष्टिकता और स्वास्थ्य के मामले में बाजारू अचारों को पीछे छोड़ देता है।

बरसात का मौसम दस्तक दे चुका है और आम का मौसम लगभग समाप्त हो चला है। मगर वर्मा दंपति के बगान में लगे आम के पेड़ों पर अभी भी फल लटकते देखे जा सकते हैं। उनके बगीचे में Mallika किस्म के आम इस बार भरपूर फले हैं, जिनकी ताजगी और सुनहरा रंग लोगों को आकर्षित कर रहा है। वर्मा दंपति का यह छोटा सा बगीचा आज पूरे इलाके में चर्चा का विषय है, क्योंकि वहां से न केवल ताजे और रसीले आम मिलते हैं, बल्कि मीना वर्मा के हाथों बना हुआ आम का अचार और मुरब्बा भी।

मीना वर्मा को अचार बनाने का वर्षों का अनुभव है। हर साल वह आम के अचार की नई-नई किस्में तैयार करती हैं, जिनमें न तो कोई रासायनिक मिलावट होती है, न ही कोई कृत्रिम स्वाद। घर में तैयार मसाले, सरसों का तेल, और परंपरागत विधि से बनाया गया अचार स्वाद में इतना लाजवाब होता है कि जो एक बार चख ले, वो दोबारा जरूर मांगता है। वे मीठा, तीखा, सूखा, भरवां अचार से लेकर आम का मुरब्बा भी बनाती हैं। उनका मानना है कि जो हम खुद खाते हैं, वही दूसरों को देना चाहिए – शुद्ध, स्वास्थ्यवर्धक और देसी।

राजेन्द्र वर्मा और मीना वर्मा ने सेवानिवृत्ति के बाद शहरी चकाचौंध को छोड़कर एक शांत, देसी और प्राकृतिक जीवनशैली को अपनाया है। उनका दिन बगवानी में बितता है, पेड़-पौधों की देखभाल और पारंपरिक व्यंजन बनाने में उनका जीवन खुशहाल है। वे आत्मनिर्भरता को जीवन का मूल मंत्र मानते हैं और मानते हैं कि जब तक गांव और मोहल्ले से लोकल उत्पादन को बढ़ावा नहीं मिलेगा, तब तक आत्मनिर्भर भारत की कल्पना अधूरी रहेगी।

जादूगोड़ा में आज अगर किसी को मिठास और स्वाद के लिए जाना जाता है, तो वह है वर्मा दंपति। उनके नाम से ही इलाके में अचार और आम की खुशबू जुड़ी हुई है। यहां तक कि कई लोग तो विशेष रूप से उनसे अचार और मुरब्बा लेने उनके घर पहुंचते हैं। मीना वर्मा के बनाए अचार की खुशबू और स्वाद ऐसा है जो हर किसी की जुबान पर चढ़ जाए।

आम भारतीय संस्कृति का वह हिस्सा है जो न केवल स्वाद बल्कि परंपरा और स्वास्थ्य का प्रतीक है। विटामिन A, C और E से भरपूर आम न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि पाचन क्रिया को भी मजबूत करता है। और जब यही आम वर्मा दंपति के हाथों से देसी मसालों में मिलकर अचार का रूप लेता है, तो वह केवल एक खाद्य पदार्थ नहीं, बल्कि एक अनुभव बन जाता है।

अगर आप कभी जमशेदपुर आएं, तो वर्मा दंपति के घर का दौरा जरूर करें और उनके हाथों से बना आम का मुरब्बा और अचार जरूर चखें। उनके देसी स्वाद, आत्मनिर्भर सोच और प्राकृतिक जीवनशैली से हर किसी को कुछ न कुछ सीखने को जरूर मिलेगा।

यह केवल आम और अचार की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस सोच की कहानी है जो प्रधानमंत्री के “लोकल के लिए वोकल” मंत्र को जमीन पर उतार रही है। वर्मा दंपति का जीवन यह सिखाता है कि अगर मन में लगन हो, तो छोटे स्तर पर भी बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है – स्वाद में भी, सोच में भी और समाज में भी।

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