फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर 10 अगस्त से चलाया जाएगा MDA-IDA अभियान* *जिले में 15.73 लाख लोगों को दी जाएंगी फाइलेरिया रोधी दवाएं*

चाईबासा: झारखंड सरकार द्वारा फाइलेरिया जैसी गंभीर और विकलांगता उत्पन्न करने वाली बीमारी के उन्मूलन को लेकर 10 अगस्त से MDA-IDA 2025 अभियान शुरू किया जाएगा। इस संबंध में आज सदर अस्पताल सभागार में एक प्रेस ब्रिफिंग का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ. सुशांतों कुमार मांझी ने की।
इस अभियान की जानकारी देने हेतु आयोजित मीडिया संवाद में राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. वीरेंद्र कुमार सिंह, राज्य वित्त सलाहकार प्रवीण कुमार, WHO प्रतिनिधि अखिलेश पटेल, पिरामल स्वास्थ्य के अविनाश कात्यायन, जिला बीबीडी पदाधिकारी डॉ. मीना कलुन्डिया, जिला सलाहकार शशिभूषण महतो, सुरजीत गोयल, एफएलए मनीष कुमार समेत कई अधिकारी उपस्थित रहे।
डॉ. मांझी ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत सभी योग्य व्यक्तियों को तीन फाइलेरिया रोधी दवाएं – डीईसी, एल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन निर्धारित खुराक में निःशुल्क खिलाई जाएंगी। इन दवाओं से शरीर में पहले से मौजूद फाइलेरिया के परजीवियों को समाप्त किया जा सकेगा।
लक्षित लाभुक: 15,73,723
प्रशिक्षित दवा प्रशासक: 5106
दवा वितरण बूथ: 2553
पर्यवेक्षक: 511
दवा सेवन से जुड़ी सावधानियां:
2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं गंभीर बीमार व्यक्तियों को यह दवा नहीं दी जाएगी।
1 से 2 वर्ष के बच्चों को केवल एल्बेंडाजोल दवा दी जाएगी।
दवाएं खाली पेट नहीं खानी चाहिए।
यह दवाएं मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गठिया आदि बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों के लिए पूरी तरह सुरक्षित हैं।
दवा के बाद संभावित प्रतिक्रियाएं और व्यवस्था:
डॉ. मांझी ने बताया कि दवा लेने के बाद अगर किसी को उल्टी, पेट दर्द, चक्कर या खुजली होती है, तो इसका मतलब है कि शरीर में पहले से मौजूद परजीवी मर रहे हैं, जो एक सामान्य प्रक्रिया है और लक्षण कुछ ही समय में खत्म हो जाते हैं।
आपात स्थिति में 16 प्रशिक्षित रैपिड रिस्पांस टीमों को तैनात किया गया है, जो जरूरत पड़ने पर तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएंगी।
फाइलेरिया की गंभीरता और रोकथाम:
डॉ. मीना कलुन्डिया ने बताया कि फाइलेरिया एक मच्छर जनित बीमारी है, जो शरीर की लसीका प्रणाली को नुकसान पहुंचाती है। इससे हाथीपांव, हाइड्रोसील और काइलूरिया (दूधिया पेशाब) जैसी बीमारियां हो सकती हैं। लगातार तीन वर्षों तक हर वर्ष दवा लेने पर बीमारी का उन्मूलन संभव है।
जिला बीबीडी सलाहकार शशिभूषण महतो ने बताया कि जिले में 572 उच्च जोखिम वाले गांवों की पहचान की गई है, जहां विशेष मिशन MDA स्क्वाड दवा सेवन सुनिश्चित करेगा। यह टीम मुखिया की अध्यक्षता में गांव-गांव जाकर जागरूकता फैलाएगी। लक्ष्य है कि 2027 तक पंचायतों को फाइलेरिया मुक्त बनाया जाए।
मीडिया से सहयोग की अपील:
डॉ. मांझी ने मीडिया से अपील की कि वे लोगों को जागरूक करें कि दवा स्वास्थ्यकर्मी की निगरानी में ही सेवन करें और अभियान के दौरान सकारात्मक संदेश फैलाएं। उन्होंने कहा कि दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता, कुशल मानव संसाधन और सुनियोजित कार्ययोजना के साथ जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाना संभव है।
अंत में राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. वीरेंद्र सिंह ने कहा कि फाइलेरिया मुक्त झारखंड का सपना तभी साकार होगा जब हम गांव के अंतिम व्यक्ति तक यह दवा पहुंचा सकें।