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झारखंड में बालू घाटों को समूह में देने की योजना पर बवाल पूर्व मंत्री बड़कुंवर गागराई ने सरकार पर लगाया झारखंडियों को टेंडर प्रक्रिया से दूर रखने का आरोप

 

चाईबासा: झारखंड सरकार द्वारा राज्य के विभिन्न जिलों में बालू घाटों की नीलामी समूह के रूप में करने के निर्णय पर राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। इसी कड़ी में पूर्व मंत्री सह भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बड़कुंवर गागराई ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा निकाली गई अधिसूचना में कहीं 10 घाटों को तो कहीं 13 घाटों को एक समूह में जोड़कर एक साथ बोली लगाने की प्रक्रिया अपनाई गई है। गागराई का कहना है कि यह तरीका झारखंडी स्थानीय लोगों को टेंडर प्रक्रिया से बाहर करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि इस तरह की नीलामी नीति से स्पष्ट है कि सरकार झारखंड के स्थानीय व्यवसायियों के बजाय दिल्ली, मुंबई और कोलकाता, चेन्नई, तमिलनाडु के बड़े व्यापारियों को अवसर देना चाहती है।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह नीति झारखंड की पारदर्शी बालू व्यवस्था को फिर से अराजकता की ओर ले जाने का संकेत है। गागराई ने याद दिलाया कि पूर्व में भी हेमंत सोरेन सरकार ने एक बाहर की कंपनी को बालू टेंडर सौंपकर राज्य में अव्यवस्था फैलाने का काम किया था, जिसका खामियाजा स्थानीय जनता को भुगतना पड़ा था।

गागराई ने सवाल उठाया कि यदि सरकार वास्तव में झारखंडी जनता के हक में है, तो टेंडर प्रक्रिया को सरल और घाटों को व्यक्तिगत रूप से नीलाम क्यों नहीं किया जा रहा? उन्होंने कहा कि समूह में घाटों की नीलामी से स्थानीय छोटे व्यवसायियों और पंचायत स्तर के युवाओं को अवसर नहीं मिलेगा।

भाजपा नेता ने राज्य सरकार से इस निर्णय को तत्काल वापस लेने की मांग की है और चेतावनी दी कि यदि इसपर पुनर्विचार नहीं किया गया तो पार्टी जन आंदोलन शुरू करेगी। उन्होंने झारखंड के युवाओं और ग्रामीण व्यवसायियों से इस नीति के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।

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