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विधायक पूर्णिमा साहू का सवाल- हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी क्या सरकार पेसा कानून लागू करने में नए बहाने ढूंढेगी?

 

जमशेदपुर। जमशेदपुर पूर्वी की भाजपा विधायक पूर्णिमा साहू ने बुधवार को राज्य सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए सवाल उठाया है कि झारखंड हाईकोर्ट की फटकार और बालू घाटों की नीलामी पर रोक के बाद भी क्या हेमंत सरकार पेसा (पंचायत उपबंध अधिनियम) नियमावली लागू करने के लिए नए बहाने ढूंढेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विदेशी दबाव में आदिवासियों के अधिकारों और उनकी परंपराओं की अनदेखी कर रही है।

विधायक पूर्णिमा साहू ने कहा कि पेसा कानून लागू होने से ग्राम सभाओं को अपने संसाधनों पर नियंत्रण का अधिकार मिलेगा, जो आदिवासी समुदायों के सशक्तिकरण के लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले विधानसभा सत्र में उन्होंने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था और सरकार की लापरवाही को उजागर किया था। पूर्णिमा साहू ने कहा कि सरकार ने नियमावली बनाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है, लेकिन इसे लागू करने का कोई ठोस समयसीमा नहीं दी जा रही, जिससे आदिवासियों के अधिकारों का हनन हो रहा है।

इस बीच, झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की पेसा नियमावली लागू करने में देरी पर कड़ा रुख अपनाया है और ग्राम स्तर पर बालू घाटों की नीलामी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने पंचायती राज सचिव को 23 सितंबर को अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि सरकार जानबूझकर पेसा नियमावली लागू करने में विलंब कर रही है और 440 बालू घाटों की नीलामी शुरू कर दी गई है, जो कानून का स्पष्ट उल्लंघन है।

बता दें कि जुलाई 2024 में हाईकोर्ट ने सरकार को दो महीने के भीतर पेसा नियमावली लागू करने का आदेश दिया था, लेकिन प्रगति के अभाव में मामला अब अवमानना याचिका तक पहुंच गया है। विधायक पूर्णिमा साहू का मानना है कि पेसा कानून की अनुपालना सुनिश्चित करना अब राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और इसमें कोई और विलंब बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।

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