कारलाबेड़ा गांव के विकास को मिली रफ्तार, उपायुक्त ने सड़क, जल मीनार व आजीविका योजनाओं का दिया भरोसा

जमशेदपुर। पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन द्वारा सुदूरवर्ती क्षेत्रों के विकास को लेकर लगातार पहल की जा रही है। इसी क्रम में गुरुवार को उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी गुड़ाबांदा प्रखण्ड के फॉरेस्ट ब्लॉक पंचायत अंतर्गत पहाड़ पर बसे कारलाबेड़ा गांव पहुंचे। लगभग 22 से 24 परिवारों वाले इस गांव की सबसे बड़ी समस्या सड़क सुविधा है। ग्रामीणों ने इस मुद्दे को उपायुक्त के समक्ष रखा। इस पर उपायुक्त ने आश्वासन दिया कि गांव को शीघ्र ही सड़क सुविधा से जोड़ा जाएगा और अन्य बुनियादी ढांचे भी चरणबद्ध तरीके से उपलब्ध कराए जाएंगे।
मौके पर ही उपायुक्त ने अधिकारियों को गांव में जल मीनार निर्माण तथा सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु चेक डैम निर्माण के निर्देश दिए। उपायुक्त ने कहा कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन से न केवल पेयजल की समस्या का समाधान होगा, बल्कि खेती योग्य भूमि में सिंचाई की सुविधा मिलने से कृषि उत्पादन में भी वृद्धि होगी।
खेती और आजीविका में बदलाव की संभावना
गांव के ग्रामीण वर्तमान में पारंपरिक खेती पर निर्भर हैं। उपायुक्त ने उन्हें नगदी फसलों जैसे सब्ज़ी उत्पादन, फल बागवानी और औषधीय पौधों की ओर प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि नगदी फसल से ग्रामीणों को बेहतर आमदनी होगी और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। साथ ही पशुपालन, बकरी पालन और कुक्कुट पालन जैसी योजनाओं से जुड़ने पर उन्हें नियमित आय का अतिरिक्त स्रोत भी मिलेगा।
उन्होंने बताया कि सड़क निर्माण होने से गांव तक एम्बुलेंस, शैक्षणिक सुविधाएं, बाज़ार से जुड़ाव और आपातकालीन सेवाओं की पहुँच आसान होगी। जल मीनार से सालभर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध होगा, जिससे जलजनित बीमारियों में कमी आएगी। चेक डैम से वर्षा जल का संचयन होगा, भूमिगत जलस्तर बढ़ेगा और सिंचाई व्यवस्था बेहतर होगी। इन सुविधाओं के साथ ग्रामीणों को नए रोज़गार अवसर मिलेंगे, पलायन की समस्या घटेगी और शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच आसान होने से जीवन स्तर में समग्र सुधार होगा।
उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने स्पष्ट किया कि जिला प्रशासन की प्राथमिकता है कि जिले के सुदूरवर्ती और दुर्गम गांवों तक विकास की मूलभूत सुविधाएं पहुंचें। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि कारलाबेड़ा समेत ऐसे गांवों की समस्याओं का सर्वे कर योजनाओं को प्राथमिकता से लागू करें, ताकि ग्रामीणों के जीवन स्तर में ठोस सुधार हो सके।