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आध्यात्मिक साधना और कुसंस्कारों के विरुद्ध संघर्ष से ही संभव है शांति : आचार्य मंत्रचैतन्यानंद

 

जमशेदपुर : परसुडीह के गदरा स्थित आनंद मार्ग जागृति में आनन्द मार्ग प्रचारक संघ के तत्वावधान में शुक्रवार को आयोजित निरीक्षण समीक्षा एवं संगठनात्मक एकजुटता शिविर के प्रथम दिन केंद्रीय प्रशिक्षक आचार्य मंत्रचैतन्यानंद अवधूत ने साधक-साधिकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन में शांति ही आदर्श मानव समाज की पहचान है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आध्यात्मिक साधना और कुसंस्कारों के विरुद्ध संघर्ष से ही वास्तविक शांति संभव है।

आचार्य ने आदर्श मानव समाज की तीन प्रमुख विशेषताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि सबसे पहले समाज को मनुष्य की वास्तविक जरूरतों और भावनाओं को समझकर विधि-निषेध तय करना चाहिए। दूसरा, हर व्यक्ति के दैहिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास पर ध्यान देना जरूरी है। तीसरा, समाज को सत्य को स्वीकार कर दिखावटी मान्यताओं, अंधविश्वास और भावजड़ता का परित्याग करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सामाजिक एकता, सामाजिक सुरक्षा और मन की साम्यावस्था आदर्श समाज व्यवस्था के मौलिक स्तंभ हैं। जातिभेद रहित समाज, सामूहिक सामाजिक उत्सव और कठोर दंड प्रथा का न होना सामाजिक एकता के लिए अनिवार्य है। सुविचार और अनुशासन से ही सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

आचार्य मंत्रचैतन्यानंद ने आगे कहा कि नीति (यम-नियम) मानव जीवन की मूल आधारशिला है, धर्मसाधना उसका माध्यम है और दिव्य जीवन अंतिम लक्ष्य है। उन्होंने दावा किया कि ये सभी तत्व आनन्दमार्ग समाज व्यवस्था में विद्यमान हैं।

शिविर के दौरान ब्रह्ममुहूर्त में गुरु सकाश, पाञ्चजन्य, योगाभ्यास और सामूहिक साधना का आयोजन हुआ। इस अवसर पर साधक-साधिकाओं ने सामूहिक रूप से अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र ‘बाबा नाम केवलम’ का गायन किया।

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