“प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर समुदायों के अधिकार” विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन संपन्न

चक्रधरपुर: राजधानी रांची के नामकुम स्थित बागिचा संस्थान में “प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर समुदायों के अधिकार” विषय पर दो दिवसीय राज्यस्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। यह सम्मेलन झारखंड के विभिन्न हिस्सों से आए प्रतिनिधियों के लिए संवाद और विचार-विमर्श का साझा मंच बना।
कार्यक्रम में चक्रधरपुर की कोल्हान सेमिनार टीम से जुड़े तीन युवाओं पंकज बाँकिरा, रबीन्द्र गिलुवा और अंजन सामड ने भी सक्रिय भागीदारी की। इनमें से रबीन्द्र गिलुवा ने खनन सत्र की अध्यक्षता करते हुए मंच का संचालन किया और विषय विशेषज्ञों के विचारों को आगे रखा।
सम्मेलन का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों पर आश्रित आदिवासी एवं अन्य समुदायों के सामने आने वाली समस्याओं और उनके अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ाना था। चर्चा के केंद्र में जलवायु परिवर्तन, खनन, वन आरक्षण, सड़क चौड़ीकरण, भूमि अधिग्रहण, विस्थापन, मुआवजा, पुनर्वास और वन पट्टा जैसे मुद्दे रहे।
सम्मेलन की शुरुआत में डॉ. टोनी ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए झारखंड में वन-आधारित समुदायों के अधिकारों और कानूनी सुरक्षा पर विस्तार से चर्चा की। मंच का संचालन कर रहे जेम्स हैरेंज ने सभी प्रतिभागियों को संवाद में शामिल किया और उनकी चुनौतियों को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वहीं, अंबिका यादव ने किसानों की समस्याएं रखीं और अशोक पाल ने पशुपालकों के मुद्दों को सामने लाया। खनन सत्र में, रबीन्द्र गिलुवा द्वारा आमंत्रित डॉ. मिथिलेश डांगी ने झारखंड में प्राकृतिक संसाधनों की अनियंत्रित दोहन पर गंभीर चिंता व्यक्त की और इसके दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला।
सम्मेलन में कोल्हान, संथाल परगना और पलामू प्रमंडल से आए प्रतिनिधियों ने भी अपने क्षेत्र की समस्याएं और अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का समापन सामूहिक संकल्प के साथ हुआ कि राज्य में प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए सामूहिक प्रयास किए जाएंगे।
इस सम्मेलन को जनसरोकार से जुड़े विषयों पर विचार-विमर्श और समाधान की दिशा में एक सार्थक पहल माना जा रहा है।