पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन झारखंड सरकार पर बरसे, बोले- आदिवासी विरोधी कदम उठा रही सरकार
News Lahar Reporter
Jamshedpur : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने मंगलवार को जमशेदपुर के कदमा में प्रेस कांफ्रेंस कर राज्य की हेमंत सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि चाईबासा में “नो एंट्री” की मांग को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे आदिवासियों पर पुलिस द्वारा की गई लाठीचार्ज और आंसू गैस की कार्रवाई पूरी तरह अमानवीय और निंदनीय है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आंदोलनकारियों की मांग सिर्फ इतनी थी कि दिन के समय भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई जाए, ताकि सड़क हादसे कम हों। लेकिन सरकार ने शांतिपूर्ण आंदोलन का जवाब लाठियों से दिया। उन्होंने कहा, “क्या अब झारखंड में लोगों को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने का अधिकार नहीं बचा है?”
चंपई सोरेन ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार लगातार आदिवासियों को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा, “पहले भोगनाडीह में वीर सिदो-कान्हू के वंशजों पर लाठीचार्ज, फिर गोड्डा में समाजसेवी सूर्या हांसदा का फर्जी एनकाउंटर, उसके बाद नगड़ी में जमीन बचाने वाले किसानों पर हमला और अब चाईबासा में आदिवासियों पर लाठीचार्ज — ऐसा लगता है कि सरकार ने आदिवासी समाज को सबसे आसान लक्ष्य बना लिया है।”
उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासियों और मूलवासियों की आवाज दबाने के लिए फर्जी एफआईआर और पुलिसिया प्रताड़ना का सहारा ले रही है। “इस सरकार ने आदिवासियों को सिर्फ ‘अबुआ अबुआ’ का झुनझुना पकड़ा रखा है। जब भी हमारा समाज अपने अधिकारों की बात करता है, उसे कुचलने का प्रयास किया जाता है,” उन्होंने कहा।
चंपई सोरेन ने आगे कहा कि 1855 के हूल विद्रोह के बाद अंग्रेजों ने भी आदिवासियों के अधिकारों का सम्मान किया, लेकिन आज की तथाकथित “अबुआ सरकार” उन्हीं वीर सिदो-कान्हू के वंशजों पर लाठीचार्ज करने की हिम्मत कर रही है।
उन्होंने सिरमटोली के केंद्रीय सरना स्थल पर अतिक्रमण को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उनका कहना था कि विकास के नाम पर धार्मिक स्थल से छेड़छाड़ की जा रही है, जबकि रैंप का स्थान बदला जा सकता था।
पूर्व सीएम ने नगड़ी के किसानों के आंदोलन का उल्लेख करते हुए कहा कि जब सरकार ने जबरन खेतों पर बाड़ लगाई, तो उन्हें हाउस अरेस्ट किया गया और आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज किया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि चाईबासा में पांच बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने जैसी गंभीर लापरवाही पर सरकार ने सिर्फ दो लाख रुपये मुआवजा देकर मामले को दबा दिया, जबकि अधिकतर बच्चे आदिवासी समुदाय से थे।
अंत में चंपई सोरेन ने कहा कि झारखंड में आदिवासियों और मूलवासियों के अधिकारों को दबाने की कोशिशों के खिलाफ अब जनता एकजुट हो रही है। उन्होंने कहा कि जब भी राज्य में आदिवासियों के अधिकारों पर हमला होगा, वह उसके खिलाफ मजबूती से खड़े रहेंगे।














