सारंडा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का दोहरा चरित्र उजागर — पूर्व सांसद गीता कोड़ा”
NEWS LAHAR REPORTER
गुवा
सारंडा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के विरोध में 16 नवंबर को होने वाली आर्थिक नाकेबंदी को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) द्वारा “नैतिक समर्थन” दिए जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में तीखी बहस शुरू हो गई है।
झामुमो सांसद श्रीमती जोबा माझी ने कहा कि “जब तक सांस चलेगी और आवाज रहेगी, तब तक आदिवासी-मूलवासी के हक की लड़ाई जारी रहेगी।” परंतु आश्चर्य की बात यह है कि जिस विषय पर झामुमो “लड़ाई” की बात कर रही है, वही निर्णय उसकी अपनी सरकार ने कैबिनेट में पारित किया था।उक्त तथ्यों पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व सांसद एवं भाजपा नेत्री श्रीमती गीता कोड़ा ने इसे झारखंड मुक्ति मोर्चा का दोहरा चरित्र बताया है। उन्होंने कहा कि एक ओर झामुमो सरकार ने ही वाइल्ड सेंचुरी को मंजूरी दी, वहीं दूसरी ओर अब उसी निर्णय के विरोध में सामाजिक संगठनों के पीछे छिपकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है। यह जनता के साथ छल और राजनीतिक पाखंड का स्पष्ट उदाहरण है। पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने सवाल उठाया कि जब झामुमो की अपनी सरकार राज्य में है, तब “संघर्ष” और “आंदोलन” की नौटंकी क्यों? यदि वास्तव में आदिवासी हितों की रक्षा की मंशा है, तो सरकार कैबिनेट से निर्णय रद्द करे, पेसा कानून को पूरी तरह लागू करे और सारंडा के ग्रामवासियों के अधिकार सुरक्षित करे।भाजपा का स्पष्ट मत है कि सारंडा की धरती शहीदों की भूमि है, यहां की जनता को भ्रमित कर झामुमो राजनीतिक स्वार्थ साधने की कोशिश कर रहा है। सारंडा के लोगों को अब समझना होगा कि झामुमो की “एक तरफ सरकार और दूसरी तरफ आंदोलन” की नीति केवल दिखावा है।झामुमो के विधायक सांसदों को स्पष्ट करना चाहिए कि ,वह हेमन्त कैबिनेट के निर्णय सारंडा सेंचुरी मामले के पक्ष में हैं या उसके खिलाफ?















