फांसी घर विवाद: विशेषाधिकार समिति करेगी जांच, केजरीवाल, सिसोदिया, रामनिवास गोयल और राखी बिड़लान से होगी पूछताछ
न्यूज़ लहर संवाददाता
नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा परिसर में ‘फांसीघर’ को लेकर चला आ रहा विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है. विधानसभा की इमारत में जिस हिस्से को आम आदमी पार्टी सरकार ने फांसी घर करार देते हुए स्मारक का रूप दिया था, उसे सदन ने फर्जी करार दिया है. विधानसभा के मानसून सत्र में तीन दिनों तक चर्चा के बाद गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने इस पर फैसला सुनाया. उन्होंने इस मामले को विशेषाधिकार समिति को भेज दिया है. साथ ही कहा कि विशेषाधिकार समिति पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल, पूर्व उपाध्यक्ष राखी बिड़लान, पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को समन भेज इस संबंध में पूछताछ करे.
पिछले तीन दिनों तक विधानसभा में फांसी घर के मुद्दे पर चर्चा होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि परिसर में फर्ज़ी फांसी घर पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए, तीन दिनों में भी विपक्ष की तरफ से कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला. इस मुद्दे पर राष्ट्रीय अभिलेखागार से प्राप्त रिकॉर्ड, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की जांच और डीयू, जेएनयू के इतिहासकारों से हुई मीटिंग का हवाला देकर विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सदन इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि यहां ना तो कोई फांसी घर था ना ही कोई सुरंग था.
विधानसभा के इतिहास से छेड़छाड़
विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि अगस्त 2022 में जब यह फांसी घर बनाया गया तो विपक्ष के सभी सदस्यों के भावना देशभक्ति से जुड़ गई और हमें भी लगा की फांसी जैसी घटना हुई होगी. हमें यह सुनकर ऊर्जा मिलती थी कि यह हमारा शहादत स्थल है. लेकिन फिर पदभार संभालने के बाद इतिहास खंगालने और राष्ट्रीय अभिलेखागार द्वारा प्राप्त दस्तावेज के आधार पर पता चला कि यहां कोई फांसी घर थी ही नहीं. इस घटना से भावनाओं को ठेस पहुंची.
अध्यक्ष ने कहा कि उनकी तरह हजारों, लाखों लोग जो इसे सच मान बैठे थे, उनके लिए विधानसभा में इसकी प्रमाणिकता बताने के लिए प्रस्ताव लाना पड़ा. अतः सदन की सहमति बाद यह निर्णय लिया जाता है कि इस हेरिटेज दिल्ली विधानसभा के उस हिस्से को दोबारा मूल रूप में परिवर्तित किया जाए. इस दोनों टिफिन रूम में विधानसभा का 1912 का नक्शा स्थापित किया जाएगा. जिससे कभी कोई असंवैधानिक कार्य को दोबारा नहीं कर सके. पिछली सरकार के कार्यकाल में विधानसभा के इतिहास से जो छेड़छाड़ करने की कोशिश की गई, यह दुर्भाग्यपूर्ण है.
विधानसभा परिसर में 9 अगस्त 2022 को भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ के दिन जो इस फर्जी फांसी घर के उद्घाटन का शिलापट्ट लगा था, जिसमें केजरीवाल का नाम लिखा है इसे हटा दिया जाएगा. इसके मूल रूप के साथ की गई छेड़छाड़ और फर्जी फांसी घर जाकर जो इतिहास बदलने का अपराध किया गया, ऐसे लोगों को देश कभी माफ नहीं करेगा. यह सदन इसको कृत्य की करें शब्दों में निंदा करता है.
विशेषाधिकार समिति करेगी मामले की जांच
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले की गहन से जांच करने के लिए सदन की विशेष अधिकार समिति कोई मामला सौंप जा रहा है. यह समिति पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को समन करेगी और उनकी मौजूदगी और निर्देशन को लेकर पूछताछ करेगी. परिसर के उस हिस्से को जल्द पहले जैसा किया जाएगा.
वहीं, इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के विधायक कुलदीप कुमार ने कहा कि यह सरकार जनता से जुड़े मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए फांसी घर के मुद्दे को लेकर आई है. अंग्रेजों के शासन में ऐसे ही फांसी घर कई इमारतों में बनाई गई थी. तहखाने भी ऐसे बनाए गए कि आम लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी.















