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हांगकांग के ताई पो जिले में भीषण आग का कहर: 45 की मौत, 279 अभी भी लापता – दुनिया दहली, झारखंड में भी शोक की लहर

 

NEWS LAHAR REPORTER

हांगकांग के ताई पो जिले में बुधवार दोपहर लगी भीषण आग ने मौत और तबाही का ऐसा मंजर छोड़ दिया, जिसे पिछले 30 वर्षों की सबसे भयावह आग कहा जा रहा है। आठ ऊंची रिहायशी इमारतों के इस विशाल परिसर में करीब 2,000 फ्लैट हैं और प्रत्येक टावर 32 मंजिला है। आग ने मिनटों में ही इमारतों को अपनी चपेट में ले लिया। शुरुआती जानकारी के अनुसार कम से कम 45 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 279 लोग लापता बताए जा रहे हैं। मरने वालों में एक बहादुर फायर फाइटर भी शामिल है, जिसका जला हुआ शव साथियों से संपर्क टूटने के आधे घंटे बाद मिला।

दुनिया के सबसे बड़े वित्तीय हब माने जाने वाले हांगकांग में इस हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। घटना की खबर झारखंड तक भी पहुंची और यहां भी लोगों ने दुख व्यक्त किया तथा सोशल मीडिया पर मृतकों के प्रति संवेदना जताई।

हांगकांग की आग – अब तक की मुख्य अपडेट्स

* गुरुवार सुबह मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 44 बताया गया, जबकि कुल मौत 45 होने की आशंका।
* 279 निवासी अभी भी लापता, तलाश अभियान जारी।
* पुलिस ने आग से जुड़े मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार किया है।
* चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शोक व्यक्त किया और मृत फायरमैन को श्रद्धांजलि दी।
* एक हजार से अधिक लोगों को रातभर बाहर रहना पड़ा।

आखिर कैसे लगी इतनी बड़ी आग?

उत्तर ताई पो जिले में आग लगने का वास्तविक कारण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन जांच में प्रमुख भूमिका बांस के मचान की बताई जा रही है, जिससे आग तेजी से फैली। हांगकांग में इमारत निर्माण के लिए परंपरागत रूप से बांस के मचान का उपयोग होता है, हालांकि इसे मार्च से चरणबद्ध तरीके से बंद किया जा रहा है।
बांस की यही संरचना आग को ऊपर की मंजिलों तक ले गई, जिससे बचाव मुश्किल हो गया।

भारत, विशेषकर ग्रामीण और छोटे शहरों में – जैसे झारखंड के जमशेदपुर, रांची, धनबाद आदि में भी निर्माण कार्यों के दौरान बांस के मचान का उपयोग आम है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हादसों के बाद निर्माण मानकों की समीक्षा जरूरी है।

हांगकांग में मातम, दुनिया स्तब्ध

अस्पतालों और राहत केंद्रों में अफरा-तफरी का माहौल है। लोग अपने परिजनों की तस्वीरें लेकर जानकारी खोज रहे हैं। जिस हांगकांग के रेस्क्यू सिस्टम और सुरक्षा मानकों को दुनिया मिसाल मानती रही है, वहां इतनी बड़ी चूक ने सवाल खड़े कर दिए हैं।

झारखंड से प्रतिक्रिया

झारखंड के कई आईटी कर्मचारी और छात्र हांगकांग में रहते हैं। परिवार लगातार संपर्क में हैं। जमशेदपुर, बोकारो, रांची में कई संगठनों ने मृतकों के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए दो मिनट का मौन रखा।

यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि चेतावनी है कि सुरक्षा मानकों और निर्माण तकनीकों में सुधार कितना जरूरी है। ऐसे हादसों को रोकना मानव जीवन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

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