झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद द्वारा अनुशंसा का अक्षरशः पालन कर ईचा डैम रद्द करे हेमंत सरकार – बिर सिंह बुड़ीउली*
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: ईचा खरकई बांध विरोधी संघ, कोल्हान द्वारा तांतनगर प्रखंड के प्रभावित क्षेत्रों/गांव में जनसंपर्क अभियान चला कर निर्धारित कार्यक्रमानुसार कोकचो से तांतनगर हाट तक हेमंत सरकार के मंत्री और विधायक का शव यात्रा निकाल कर दाह संस्कार किया गया।

शव यात्रा सभा को सम्बोधित करते हुए संघ के अध्यक्ष बिर सिंह बुड़ीउली ने कहा कि हेमंत सोरेन जनजातीय परामर्शदातृ परिषद द्वारा अनुशंसा का अक्षरशः पालन कर ईचा डैम रद्द करें। कोल्हान संघर्ष यात्रा के दौरान ईचा डैम के लिए गोली खाने तैयार थे। किंतु सरकार बन जाने के बाद एक बार भी झामुमो के स्थानिय मंत्री या विधायकों ने विस्थापितों की सूद नही ली।

अस्सी के दशक में दिशूम गुरु शिबू सोरेन ने भी शायमसुंदर हाट में एक सभा के मध्यम से ईचा डैम रद्द करने की बात कही थी। आदिवासी हितैसी झामुमो कोल्हान में आदिवासी मूलवासी को खत्म करना चाहती है। ये उनके द्वारा नीति निर्धारण और कार्यशैली में दिखने लगा है। ईचा रद्द ना कर इसका प्रमाण भी दे दिया है।

*2014 के टी.ए.सी ने ईचा डैम को रद्द करने की अनुशंसा और हेमंत सोरेन ने 2019 के विधानसभा चुनाव में ईचा डैम रद्द करने का किया था वादा*
झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री सह झामुमो कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, कल्याण सह परिवहन मंत्री दीपक बिरुवा और मझगांव विधायक निरल पूर्ति का वादा खिलाफी का आरोप लगा कर किया दाह संस्कार । 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो ने सरकार बनने पर ईचा डैम रद्द करने का वादा किया था। 2014 में जनजातीय सलाहकार परिषद, उपसमिति बना कर तत्काल कल्याण मंत्री चंपई सोरेन की अध्यक्षता में सामाजिक आंक्षेपन कर डैम रद्द करने का लाया प्रस्ताव किंतु आज झामुमो सरकार का कार्यकाल खत्म होने को है फिर भी डैम रद्द किया। जिससे झारखंड सहित उड़ीसा के 126 गांव के विस्थापित अक्रोशित हैं।

तांतनगर और मंझारी प्रखंड के पूर्ण और आंशिक रूप से दब क्षेत्र के ग्रामीण इससे भयभीत और अक्रोषित है। कोकचो से तांतनगर पहुंच कर सभा में तब्दील होकर शव यात्रा का अंतिम संस्कार कर सभा का समापन किया। मुख्य रूप से बिर सिंह बुड़ीउली, रेयांस सामड,सुरेश सोय,योगेश कालुंडिया, गुलिया कालुंडिया, रविंद्र अल्डा, बिरसा गोडसोरा, सुनील बाड़ा, मनसा बोदरा, कृष्ण बानरा, अशोक बिरुवा, हेमंत कुमार बिरुवा, गोसा बुड़ीउली, दुम्बी बुड़ीउली और आंदोलनकारी उपस्थित थे।















