झारखंड में डीएमएफ फंड के दुरुपयोग पर उठी आवाज, केंद्रीय वित्त मंत्री को भेजा गया ज्ञापन हेमन्त कुमार केशरी ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पंचायती राज प्रतिनिधियों को योजनाओं में भागीदार बनाने की मांग की
चाईबासा: झारखंड में डिस्ट्रीक्ट मिनरल फाउंडेशन (डीएमएफ) ट्रस्ट फंड के कथित दुरुपयोग और अनियमितताओं को लेकर भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा जाति मोर्चा के प्रदेश मंत्री हेमन्त कुमार केशरी ने केंद्रीय वित्त मंत्री को ज्ञापन सौंपकर गंभीर चिंता जताई है।
उन्होंने कहा कि खनन प्रभावित जिलों के विकास हेतु वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर डीएमएफ ट्रस्ट की स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य खनन से प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों के जीवन स्तर को सुधारना, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और आजीविका के अवसरों को बढ़ाना था।
लेकिन केशरी ने आरोप लगाया कि झारखंड में इन उद्देश्यों की घोर उपेक्षा हो रही है। फंड का उपयोग सांसद एवं विधायक निधि की तरह मनमाने तरीके से किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण जनता को वास्तविक लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने दावा किया कि योजनाओं का चयन चहेते ठेकेदारों के हित में किया जाता है और पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पश्चिम सिंहभूम जिले में शिक्षा और स्वास्थ्य के नाम पर हजारों करोड़ की राशि की खुली बंदरबांट कार्य एजेंसियों के माध्यम से की जा रही है।
ज्ञापन में केशरी ने मांग की कि डीएमएफ फंड की 50 प्रतिशत राशि से चयनित योजनाएं निर्वाचित जिला परिषद सदस्यों, मुखिया, पंचायत समिति व वार्ड सदस्यों की अनुशंसा पर आधारित हों, जबकि शेष 50 प्रतिशत योजनाओं का निर्धारण सांसद, विधायक और उपायुक्त की अनुशंसा से किया जाए।
उन्होंने कहा कि ऐसा करने से योजनाएं जमीनी जरूरतों पर आधारित होंगी और ग्रामीण जनता को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। साथ ही प्रधानमंत्री के विकसित भारत के संकल्प को भी बल मिलेगा।
ज्ञापन की एक प्रति केंद्रीय वित्त आयोग को भी भेजी गई है।















