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झारखंड सरकार का बजट: जनता को निराश करने वाला, पिछड़े वर्ग और महिलाओं के अधिकारों को नजरअंदाज: हेमन्त कुमार केशरी* 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड: आज झारखंड सरकार ने जो बजट पेश किया है, वह राज्य की जनता के लिए निराशाजनक साबित हुआ है। उक्त बातें हेमन्त कुमार केशरी, प्रदेश मंत्री, पिछड़ा जाति मोर्चा, भारतीय जनता पार्टी ने प्रेस विज्ञप्ति कर जारी कर कहा। श्री केसरी ने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत इस बजट में न तो राज्य के 52 प्रतिशत पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए हैं,

न ही अनुसूचित जाति और आदिवासियों के लिए किसी लाभकारी योजना का उल्लेख किया गया है। यह न केवल राज्य की गरीब और पिछड़ी जनता के साथ छलावा है, बल्कि यह साबित करता है कि राज्य सरकार ने चुनावी वादों को नजरअंदाज कर दिया है।

वहीं, प्रदेश मंत्री ने कहा कि चुनावों से पूर्व मुख्यमंत्री ने गृहणियों के लिए रसोई गैस की कीमत को 450 रुपये तक करने का वादा किया था, लेकिन इस बजट में इस वादे को पूरा करने के लिए कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। इस प्रकार, गृहणियों को एक और बड़ा धोखा दिया गया है। इस बजट में राज्य के युवाओं के लिए भी कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। जो वादा था कि स्थानीय बेरोजगारों को 75 प्रतिशत रोजगार मिलेगा, वह भी अधूरा ही रह गया है।

 

इसके अलावा, पेट्रोल पर मिलने वाली सब्सिडी का भी इस बजट में कोई उल्लेख नहीं किया गया है, जो राज्य की आम जनता के लिए एक बड़ा मुद्दा है। राज्य में पलायन की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, लेकिन इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए भी इस बजट में कोई विशेष राशि निर्धारित नहीं की गई है।

बता दें कि इस बजट में एकमात्र ध्यान केंद्रित किया गया है तो वह है ‘मैय्या सम्मान योजना’, जिसमें वित्त मंत्री ने 58 लाख महिलाओं को 2500 रुपये देने की बात की है। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि इस योजना पर आवेदन क्यों बंद कर दिए गए हैं और महिलाओं को जांच के नाम पर और कितनी परेशानी झेलनी पड़ेगी।

 

इसके अलावा, बुजुर्गों को मिलने वाली वृद्धा पेंशन और विकलांग पेंशन पर भी कोई स्पष्टता नहीं दी गई। सरकार ने इन पेंशन योजनाओं को क्यों बंद किया, इसका कोई जवाब नहीं दिया गया।

 

इसके साथ ही, राज्य में बालू की चोरी से हुए नुकसान का भी बजट में कोई उल्लेख नहीं किया गया है, और सरकार ने इस पर क्या कदम उठाएंगे, यह भी स्पष्ट नहीं किया। यह सब दर्शाता है कि सरकार की नीतियों और कार्यशैली में न तो कोई ठोस दृष्टिकोण है और न ही जमीनी स्तर पर कोई परिवर्तन आया है।

 

कुल मिलाकर, यह बजट चुनावी वादों को पूरा करने में असफल रहा और राज्य की जनता को पूरी तरह निराश किया है।

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