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कोल्हान के विकास की अनदेखी: 2025-26 के बजट ने क्षेत्र की समस्याओं को किया नकारा: गीता कोड़ा* 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड: झारखंड सरकार द्वारा पेश किए गए 2025-26 के बजट पर आपत्ति जताते हुए पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने कहा है कि कोल्हान क्षेत्र की उपेक्षा ने यहां के लोगों, सामाजिक संगठनों, किसानों, मजदूरों और युवाओं में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। उन्होंने कहा कि राज्य के 1,40,000 करोड़ रुपये के बजट में कोल्हान के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं किया गया, जिससे क्षेत्र की जनता में निराशा और असंतोष की लहर दौड़ गई है। उन्होंने आगे अपने विज्ञप्ति में विभिन्न विषयों को लेकर के असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि

*कोल्हान की समस्याओं पर गहरी चुप्पी*

 

बजट में कोल्हान की बुनियादी समस्याओं को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है। राज्य का मुख्य राजस्व स्रोत होने के बावजूद कोल्हान क्षेत्र को वित्तीय आवंटन में नगण्य हिस्सेदारी दी गई है। “ऊंट के मुंह में जीरा” की तरह कोल्हान का हिस्सा रखा गया है, जो क्षेत्र की जनता को पूरी तरह ठगा हुआ महसूस कराता है।

*बंद खदानों और विस्थापित मजदूरों की अनदेखी*

कोल्हान राज्य के खनन क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है और यहां के खनन उद्योग ने राज्य को आर्थिक रूप से संजीवनी दी है। लेकिन, राज्य के बजट में कोल्हान के बंद खदानों के पुनरुद्धार के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया, और न ही विस्थापित मजदूरों के पुनर्वास की दिशा में कोई ठोस कदम उठाए गए। इससे क्षेत्र के मजदूरों में घोर निराशा और असंतोष व्याप्त है।

 

*रोजगार सृजन की अनदेखी*

हेमंत सोरेन सरकार ने अपने चुनावी वादों में बेरोजगार युवाओं को भत्ता देने की बात की थी और राज्य में 10 लाख नौकरियों का लक्ष्य रखा था। लेकिन बजट में इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे एसटी, एससी, ओबीसी और अन्य बेरोजगार युवाओं को उम्मीदों का झूठा आश्वासन दिया गया है। इससे बेरोजगारी की समस्या और भी विकट हो गई है।

 

*शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही*

पश्चिमी सिंहभूम जिले के शिक्षा क्षेत्र का स्तर राज्य के सबसे निचले पायदान पर है, और यहां के छात्र-छात्राएं बेहतर शिक्षा सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। बावजूद इसके, बजट में शिक्षा के सुधार के लिए कोई विशेष आवंटन नहीं किया गया। इसी तरह, मलेरिया जोन होने के बावजूद स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी तरह से अनदेखी की गई, जो क्षेत्रवासियों के लिए चिंताजनक है।

 

*कृषि और सिंचाई में कोई ठोस कदम नहीं*

कोल्हान का कृषि क्षेत्र अत्यधिक निर्भर है, लेकिन कृषि और सिंचाई व्यवस्था में सुधार के लिए बजट में कोई ध्यान नहीं दिया गया। किसानों की समस्याएं पहले से ही बढ़ी हुई हैं और इसके बाद भी सरकार ने सिंचाई के बुनियादी ढांचे पर ध्यान नहीं दिया। इससे किसान निराश और हताश हैं।

*पर्यटन की संभावनाओं की अनदेखी*

कोल्हान क्षेत्र में अपार पर्यटन संभावनाएं हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इस क्षेत्र के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। अगर सरकार इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाती, तो यह क्षेत्र आर्थिक रूप से सशक्त हो सकता था।

 

*महिलाओं के साथ अन्याय*

राज्य सरकार ने महिलाओं को रसोई गैस सब्सिडी के तहत 450 रुपये देने का वादा किया था, लेकिन बजट में इसका कोई प्रावधान नहीं किया गया। इससे महिलाओं और गृहणियों के अधिकारों की पूरी तरह से अनदेखी की गई है और यह उनके साथ अन्याय के रूप में सामने आया है।

 

*स्थानीय जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता*

बजट में कोल्हान क्षेत्र की उपेक्षा साफ दिखाती है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने क्षेत्र की समस्याओं को सरकार के सामने प्रभावी ढंग से नहीं उठाया। चुनावी वादों के समय नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन अब वे चुप्पी साधे हुए हैं, जो जनता के लिए बेहद निराशाजनक है।

 

*जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा है*

इस बजट ने कोल्हान की भोली-भाली जनता को गहरी निराशा दी है। आदिवासी और मूलवासी समुदायों में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ रही है। अगर सरकार ने जल्द ही कोल्हान के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा नहीं की, तो आने वाले समय में क्षेत्र की जनता आंदोलन करने के लिए मजबूर हो सकती है। इस अनदेखी के खिलाफ कोल्हान के लोग अपनी आवाज बुलंद करने को तैयार हैं और अगर इसे नजरअंदाज किया गया, तो यह आंदोलन के रूप में सामने आ सकता है।

 

*निष्कर्ष*

2025-26 का बजट कोल्हान के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है। यह बजट झारखंड की इस अहम क्षेत्र को पूरी तरह से नजरअंदाज करता है, और क्षेत्रवासियों की उम्मीदों पर पानी फेरता है। अब यह देखना होगा कि सरकार कोल्हान के मुद्दों को सुलझाने के लिए कितनी जल्दी कदम उठाती है, ताकि क्षेत्र के लोगों की समस्याओं का समाधान हो सके।

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