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पूर्वी सिंहभूम में पंचायत उन्नति सूचकांक पर कार्यशाला, सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में बड़ा कदम

 

जमशेदपुर। सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को पंचायत स्तर तक ले जाने और उन्हें अधिक जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से पूर्वी सिंहभूम जिले में पंचायत उन्नति सूचकांक (PAI 1.0) पर जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को किया गया। यह कार्यशाला टाउन हॉल, सिदगोडा में हुई, जिसमें उप विकास आयुक्त नागेन्द्र पासवान, जिला परिषद अध्यक्ष श्रीमती बारी मुर्मू, उपाध्यक्ष पंकज, कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद रजनीकांत मिश्रा, जिला आपूर्ति पदाधिकारी समेत पंचायत प्रतिनिधि, जिला एवं प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी और विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

कार्यशाला में पंचायत उन्नति सूचकांक से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया गया और पंचायतों की रैंकिंग व प्रदर्शन का तुलनात्मक मूल्यांकन किया गया। कमजोर क्षेत्रों की पहचान कर सुधारात्मक रणनीतियां तय की गईं। उप विकास आयुक्त नागेन्द्र पासवान ने कहा कि पंचायती राज एक केंद्रीय बिंदु के रूप में उभर रहा है और सरकारी योजनाओं को जमीनी स्तर पर उतारकर ही अंतिम पायदान तक लाभ पहुंचाया जा सकता है। जिला परिषद अध्यक्ष श्रीमती बारी मुर्मू और उपाध्यक्ष पंकज ने पंचायतों की कमजोरियों व संभावनाओं की पहचान को सराहते हुए ग्राम पंचायतों के सतत विकास पर बल दिया।

उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने अपने संदेश में बताया कि पहली बार वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पंचायत उन्नति सूचकांक की बेसलाइन रिपोर्ट जारी की गई, जिसने साक्ष्य आधारित ग्रामीण विकास को बढ़ावा दिया है। जिले की कई पंचायतों ने विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। इनमें गरीबी मुक्त पंचायत के रूप में मानुषमुड़िया (बहरागोड़ा), स्वास्थ्य पंचायत के रूप में मौदाशोली (धालभूमगढ़), बाल हितैषी पंचायत के रूप में कईलीसूता (मुसाबनी), जल पर्याप्त पंचायत के रूप में उत्तरी बदिया (मुसाबनी), स्वच्छ और हरित पंचायत के रूप में हेन्दलजुड़ी (घाटशिला), आत्मनिर्भर पंचायत के रूप में राजलाबाँध (बहरागोड़ा), सामाजिक न्याय पंचायत के रूप में सिंहपुरा (गुड़ाबांदा), सुशासन पंचायत के रूप में महुलबनी (पटमदा) और महिला हितैषी पंचायत के रूप में घाटशिला शामिल हैं।

कार्यशाला में सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों और प्रमुखों को अपने-अपने क्षेत्र की एक पंचायत को आदर्श पंचायत के रूप में विकसित करने का निर्देश दिया गया। साथ ही पंचायत योजनाओं में जनभागीदारी और पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर दिया गया। यह पहल 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में जिले के योगदान को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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