न्यूज़ लहर संवाददाता चाईबासा: मिट्टी के दरकते मकान, टूटते छप्पर, घास-फूस से आच्छादित मकानों को जोड़ती पगडंडियां, दूर खेतों में मवेशी चराते चरवाहे, गांव की धूल-माटी में लोटते-खेलते नंग-धड़ंग बच्चे, जीर्ण-शीर्ण घरों की दरारों से झांकती बेबस गरीबी। यह उस गांव की पहचान है, जो झारखंड-ओड़िशा सीमा पर बसा है और यह झारखंड का अंतिम […]














