संवाद 2025 का दूसरा दिन: जनजातीय पहचान, पारंपरिक व्यंजन और सांस्कृतिक ज्ञान का उत्सव जमशेदपुर, झारखंड में
NEWS LAHAR REPORTER
Jamshedpur : झारखंड के सांस्कृतिक केंद्र जमशेदपुर में संवाद 2025 का सेकेंड डे एक बार फिर जनजातीय संपदा, परंपराओं और ज्ञान-संवाद के नाम रहा। सुबह से शाम तक चले विविध सत्रों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और लोक कलाओं ने देशभर से आए जनजातीय समुदायों, कलाकारों और युवाओं को एक साझा मंच पर जोड़ा।
इस दिन का मुख्य मकसद था जनजातीय पहचान, परंपरा, कला और समुदाय आधारित ज्ञान को गहराई से समझना और उसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाना। पहले दिन की सकारात्मक ऊर्जा ने दूसरे दिन को और अधिक जीवंत बना दिया, जहां परंपरा और आधुनिक दृष्टिकोण का संतुलित संगम देखने को मिला।
सुबह के सत्र कला, हस्तशिल्प, जनजातीय उपचार, अखड़ा, व्यंजन और पहचान से जुड़े विषयों पर केंद्रित रहे। कला और हस्तशिल्प में सदियों पुरानी कलाओं की जड़ों की खोज की गई। जनजातीय चिकित्सा पद्धतियों के सत्र में पारंपरिक उपचार की यात्रा पर प्रकाश डाला गया, वहीं अखड़ा सत्र ने प्रकृति के साथ जनजातीय जुड़ाव और पर्यावरणीय समझ को नए दृष्टिकोण से सामने रखा।

जनजातीय व्यंजनों पर हुए सत्र में स्थानीय स्वाद, पाक परंपराओं और उनके संरक्षण के महत्व पर विस्तार से चर्चा हुई। समुदाय आधारित संवादों में खासकर उन जनजातीय महिलाओं की कहानियाँ सामने आईं, जो कैमरे के जरिए अपनी आवाज़ और दृष्टि को दुनिया तक पहुँचा रही हैं। संवाद फ़ेलोशिप के तहत कहानी कहने की कला और मौखिक परंपराओं के भविष्य पर भी विचार हुआ।
दिन का सबसे आकर्षक हिस्सा रहा— रिदम्स ऑफ द अर्थ, देश का पहला बहु-जनजातीय संगीतकार-आधारित बैंड। 44 कलाकारों वाले इस समूह ने लद्दाख के प्रसिद्ध बैंड दा शग्स के साथ अपना दूसरा एल्बम रिलीज़ किया, जो जल्द ही टाटा स्टील फाउंडेशन के यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध होगा। इसके बाद ओरांव, माविलन, मिज़ो और पवार समुदायों के कलाकारों ने अपनी पारंपरिक संगीत-नृत्य प्रस्तुतियों से दर्शकों को उत्साहित किया। दिन का समापन मणिपुर के लोकप्रिय बैंड फेदरहेड्स की धमाकेदार प्रस्तुति के साथ हुआ।
टाटा स्टील फाउंडेशन के सीईओ सौरव रॉय ने कहा कि संवाद वह मंच है जहाँ कला, विरासत, उपचार और कहानी कहने की परंपराएँ एक-दूसरे से सीखने का अवसर देती हैं। उन्होंने कहा कि रिदम्स ऑफ द अर्थ का नया एल्बम इस बात का प्रतीक है कि जनजातीय समुदाय अपनी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की इस साझा यात्रा में गहरी आस्था रखते हैं।
‘आतिथ्य’ नाम के विशेष जनजातीय फूड पॉप-अप में पारंपरिक व्यंजनों और दुर्लभ होते स्वादों को नए अंदाज़ में पेश किया गया। यहाँ स्टार्टर्स से लेकर डेज़र्ट तक जनजातीय रसोई की वास्तविक सुगंध नजर आई। यह स्टॉल प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहेगा, और अब इसकी डिशेज़ ऑनलाइन ज़ोमैटो पर भी उपलब्ध होंगी।
गोपाल मैदान में आयोजित कला और हस्तशिल्प प्रदर्शनी में 18 राज्यों और 30 जनजातियों की 34 कला शैलियाँ 51 आउटलेट्स के माध्यम से प्रदर्शित की गईं। इसके साथ ही 12 राज्यों की 24 जनजातियों से आए पारंपरिक चिकित्सकों ने अपनी चिकित्सा पद्धतियों को 30 स्टॉल्स पर दिखाया। इस वर्ष जीवनशैली संबंधी रोग, काइरोप्रैक्टिक उपचार और बांझपन संबंधित पारंपरिक थेरेपी विशेष फोकस में रही।
संवाद 2025 आने वाले तीन दिनों तक इसी सांस्कृतिक जोश के साथ जारी रहेगा, जहाँ देशभर से आए कलाकार, समुदाय और युवा सीखने, साझा करने और जश्न मनाने की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे।















