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किसान पपीता से पपेन निकाल कर सकते हैं अधिक कमाई

लावनी मुखर्जी
झारखंड: झारखंड और आस-पास के क्षेत्रों में पपीता की खेती बेहतर हो सकती है। यहां की मिट्टी पपीता की खेती के लिए बेहतर माना जाता है।ऐसे भी इस क्षेत्र में पपीता की पैदावार बहुत होती है। पपीता एक स्वास्थ्यवर्धक फल माना जाता है।डॉक्टर्स मरीजों को पपीता खाने की सलाह देते हैं। पपीता की खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं।वहीं इससे निकलने वाले पपेन का व्यवसाय करके किसान अतिरिक्त आय अर्जित कर सकता है।आमतौर पर पपीता की खेती बारह महीने की जाती है, लेकिन फरवरी-अप्रैल से मई-अक्टूबर के बीच में इसकी विशेष खेती की जाती है।


दरअसल, इन महीनों में पपीता की खेती के लिए अनुकूल मौसम होता है।बलुई दोमट मिट्टी पपीता की खेती के लिए सर्वोत्तम होती है।पपीता फल में घुलनशील रेशा काफी मात्रा में होता है जो कि शरीर के कोलेस्ट्रोल और चर्बी की मात्रा को कम करता है।पपीते में विटामिन ए काफी मात्रा में पाई जाती है।

पपेन का उपयोग
पपीता से एक तरल पदार्थ निकलता है, जिसे पपेन कहा जाता है।जिसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन, दवा, और च्युंइगम निर्माण में होता है। इसलिए इसकी मांग काफी होती हैतछपपेनछ त्वचा को मुलायम करने काम करता है, यही वजह है कि इसका उपयोग कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में किया जाता है।
कैसे निकाला जाता है पपीता से पपेन
पपेन निकालने की विधि काफी सरल है। जब पपीता का पौधा ढाई तीन महीने का हो तब पपीता के फल की साइज सेब के बराबर होती है। इन कच्चे पपीता में चाकू से सुबह सुबह तीन सेंटीमीटर का चीरा लगाए। इसके बाद इससे निकलने वाले दूध को इकट्ठा कर लें। इस दौरान दस्ताने जरूर पहने ताकि तरल पदार्थ हाथ में न लगे।ध्यान रहे कच्चे पपीते से दूध निकालने के बाद तोड़कर बाजार में बेच देना चाहिए। जिसका उपयोग सब्जी में किया जा सकता है।

महंगा बिकता है पपेन

आठ से दस घंटे में एक आदमी इन कच्चे पपीता से आधा लीटर तरल पदार्थ इकट्ठा कर सकता है, जिसे, हल्की आंच पर बर्तन में भरकर गर्म किया जाता है। इसमें प्रति किलो तरल पदार्थ के हिसाब से 500 से 700 मिलीग्राम पोटेशियम मेटा बाई सल्फाइट मिलाना चाहिए। अब इसे धीमी आंच पर गर्म करें और जब इस पर पपड़ी आ तब उतार लें। इस पपड़ी को पीसकर पाउडर पपेन पाउडर बनाया जाता है। मार्केट में पपेन की कीमत ढाई सौ से तीन सौ रुपए किलो के आसपास होती है।

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