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एक स्कूटर मैकेनिक कैसे बन गया ब्लैकमेलर पत्रकारों के गिरोह का मुखिया, न्याय की बात करने वाला फर्जी पत्रकार अपने बड़े भाइयों का कैसे कर रहा शोषण जाने…..

एक स्कूटर मैकेनिक कैसे बन गया ब्लैकमेलर पत्रकारों के गिरोह का मुखिया, न्याय की बात करने वाला फर्जी पत्रकार अपने बड़े भाइयों का कैसे कर रहा शोषण जाने…..

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड: पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित जमशेदपुर के एक स्कूटर मैकेनिक विनोद सिंह ब्लैक मेलिंग से रुपया कमाने के लिए पत्रकार बन गया। अन्याय के विरुद्ध लड़ने का उपदेश देने वाला विनोद सिंह अपने दो बड़े भाइयों को पैतृक संपत्ति के लिए प्रताड़ित कर रहा है। इस खेल में चाचा भी अपने बाप का नाम भी बदल चुके है। वही उसके ब्लैक मेलिंग तंग आकर शहर के अनेक लोगों ने साइबर थाना बिष्टुपुर में मुकदमे दर्ज कराए हैं। जिसे न्यूज़ लहर प्रतिदिन पीड़ित एक- एक व्यक्ति की कहानी अपने सुधि पाठक के सामने रखेंगा, तब आपको समझ में आएगा कि देश के चौथे स्तंभ को किस तरह भेड़ की खाल में छुपे हुए भेड़िया रूपी फर्जी पत्रकार कलंकित कर रहे हैं।

जमशेदपुर के साकची थाना क्षेत्र काशीडीह लाइन नंबर 13, क्वार्टर नंबर 390 निवासी कुंवर सिंह के पुत्र विनोद सिंह है। उलीडीह थाना क्षेत्र स्थित दैनिक जागरण समाचार पत्र के कार्यालय के पास स्कूटर मैकेनिक का काम करते थे। यहीं पर उन्होंने मोटर पार्ट्स का दुकान भी खोल लिया है।इस दौरान कुछ पत्रकारों से पहचान हो गई और उनसे प्रभावित हो गया। यही से मन में पत्रकार बनने की लालशा जगी।

 

बड़े भाई को सबक सिखाने के लिए बन गए स्कूटर मैकेनिक से पत्रकार, करने लगा लोगों को ब्लैकमेल

 

विनोद सिंह के बड़े भाई भरत सिंह है। जो ‘झारखंड क्राइम रिपोर्टर’ नामक अखबार निकालते हैं। वर्तमान में वे आदित्यपुर में रहते हैं। वहांsaraikela-kharsawan प्रेस क्लब के अध्यक्ष हैं। भरत सिंह से छोटे भाई अशोक सिंह है। वर्तमान में विनोद सिंह वाले मकान में रहते हैं। यहां तीनों भाई के बीच पैतृक संपत्ति को लेकर झगड़ा है। भरत सिंह पत्रकार के नाम पर पुलिस का मदद लेने लगे। जिसको देखकर विनोद सिंह ने भी पत्रकारिता शुरू कर दी। वह पहले से ही कुछ पत्रकारों से मिल कर पत्रकार बनने का प्रेरणा ले चुका था। इस बीच भारत सिंह ,अशोक सिंह और विनोद सिंह इन तीनों भाइयों में जमकर मारपीट होने लगा। इस संबंध में तीनो भाई साकची थाना पहुंचने लगे।एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने लगे। जिससे थाना के पुलिस कर्मी परेशान हो गए।बस्ती के लोग भी परेशान थे।क्योंकि प्रति दिन इस परिवार का तमाशा घर के अंदर और सड़क पर मारपीट, गाली-गलौज करना आम बात थी।इस बीच भारत सिंह झगड़े से परेशान होकर सरायकेला खरसावां जिला के आदित्यपुर में शिफ्ट हो गए। बदले में अपने पिताजी कुंवर सिंह से मकान का सौदा कर लिया। कुछ पैसे भी मिले। अब आदित्यपुर में रहकर पत्रकारिता करते हैं। वही अशोक सिंह और विनोद सिंह में लड़ाई झगड़ा जारी है। इस संबंध में दोनों भाई एक दूसरे के विरुद्ध केस मुकदमा करते रहे हैं। दोनों भाई अपने अपने पक्ष को लेकर एसपी और साकची थाना का चक्कर लगाते रहते हैं। वही गांव के पैतृक संपत्ति हड़पने के लिए विनोद सिंह ने अपने चाचा अमर सिंह को मिला कर कागजात में फर्जीवाड़ा कर लिया। जिसमें अमर सिंह ने अपने पिता का नाम बदल लिया। जिससे वह गांव के अकूत संपत्ति को बेच कर पैसा हड़प कर गए। इस बात को लेकर इन भाइयों के बीच झगड़े जारी है। आगे इन भाइयों का कहानी विस्तार से न्यूज़ लहर बातएगा।

 

ब्लैक मेलिंग के दो प्लेटफार्म, तक्षक पोस्ट और इस्पाई पोस्ट

 

इधर केस मुकदमे के चक्कर में विनोद सिंह कोर्ट कचहरी और पुलिस के हथकंडे समझने के बाद कमाई के लिए एक नया रास्ता चुन लिया। इसके लिए एक गिरोह बनाया। जिसमें अपराधीक छवि वाले लोगों को शामिल किया गया। उन्हें प्रेस का तमगा पहना कर पत्रकार घोषित कर दिया गया। यह सारे लोग मिलकर शहर के लोगों को पत्रकारिता के नाम पर ब्लैकमेलिंग का धंधा शुरू कर दिए हैं। इसके लिए विनोद सिंह ने अपने नाम से तक्षक पोस्ट और पत्नी के नाम से स्पाई पोस्ट नाम से एक प्लेटफार्म बनाया। जिसमें सभी अपराधिक चरित्र के लोगों को समाहित कर दिया गया है। उनमें से एक साइबर अपराधी अविनाश शर्मा की कहानी न्यूज़ लहर दो किस्तों में अपने सुधी पाठकों के समक्ष रख चुका है।उनके अपराध करने की शैली से आगाह किया है कि आप सचेत हो जाएं। पत्रकारिता के नाम पर ऐसे ठगों को अपने यहां आश्रय नहीं दें।

इससे पूर्व विनोद सिंह अपने को तहलका का रिपोर्टर बता कर लोगों को धमकाने लगा। लोगों को डरा कर ब्लैक मेलिंग करने लगा। जब लोगों ने खोज खबर शुरू की तो, तक्षक पोस्ट नाम मैगजीन का हवाला देने लगा। जब इस पर जांच शुरू हुई तो, मालूम हुआ कि तक्षक नामक पोस्ट दिल्ली से प्रकाशित होने वाला एक मैगजीन है। वही विनोद सिंह द्वारा बताए गए तक्षक पोस्ट का कोई वजूद नहीं है। यह तक्षक पोस्ट के नाम का आर एन आई नंबर लोगों को बतला कर धमकाने लगा।वे अपने को असली पत्रकार और सरकार से रजिस्टर होने का दावा करने लगा। इस बीच उसके दावे की जांच में पता चला कि जिस तक्षक पोस्ट मैगजीन का आर एन आई नंबर विनोद सिंह द्वारा बताया गया,उस आर एन आई नंबर का अस्तित्व नहीं है। दिल्ली वाले मैगजीन से विनोद सिंह का कुछ भी लेना देना नहीं है। मजे की बात यह है कि विनोद सिंह ने अपने तक्षक पोस्ट का आर एन आई नंबर के नाम पर कोर्ट को भी झूठी कहानी सुना कर बरगला चुके हैं। एक तरह से जज को भी आर एन आई नंबर के नाम पर धोखा दे चुके हैं।न्यूज़ लहर के पास सरकार द्वारा उपलब्ध कराया गया साक्ष्य मौजूद है। इस बीच विनोद सिंह ने पत्नी के नाम से स्पाई पोस्ट नामक एक पोर्टल भी खोल लिया। जो सरकार के यहां पंजीकृत नहीं है। यह स्पाई पोस्ट ब्लैक मेलिंग करने के लिए बनाया गया एक और प्लेटफार्म है।

 

 

ब्लैक मेलिंग के नाम पर फर्जी पत्रकारों के गिरोह की कहानी जारी है। अगले एपिसोड में ब्लैक मेलिंग का गिरोह चलाने वाले विनोद सिंह और सदस्य के संबंध में जाने।

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