जाने महान क्रान्तिकारी ‘असित भट्टाचार्य’ // बलिदान दिवस के संबंध में 🌹*
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न्यूज़ लहर संवाददाता
*भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ऐसे क्रांतिकारों के कारनामों से भरा है जिन्होंने अपनी चिंगारी से युगों को रौशन किया है परंतु जिनका नाम इतिहास के पन्नों में कहीं खो गया है। असित भट्टाचार्य भारत के ऐसे ही एक महान क्रांतिकारी थे। वे प्रारंभ से ही क्रांतिकारी गतिविधियों से जुडे़ हुए थे। वे क्रांति दल के सदस्य भी थे। इन्होंने अधिकांशतः खुद को अज्ञात रखने का ही प्रयास किया है। खुद को अज्ञात रखने के पीछे इनकी मनसा ब्रिटिश पुलिस से दूर रहने और अपने क्रांतिकारी गतिविधियों के चलते अपने परिवार पर दबाव ना आने देने की थी परंतु यकीनन उन्हें यह नहीं पता होगा कि जिस राष्ट्र के लिए वह स्वयं को स्वाहा करते जा रहे हैं उस राष्ट्र के कुछ वामपंथी कलमकार उन्हें सदा के लिए गुमनाम कर देंगे।*
*2 जुलाई 1934 में सिलहट जेल में इन्हें फांसी दे दी गई तथा इस प्रकार भारत के एक वीर सपूत के जीवन का अंत हो गया। आज भी रसिक भट्टाचार्य के बलिदान दिवस सुदर्शन परिवारों में बारंबार नमन करते हुए उनकी यशोगाथा को वामपंथी कलम कारों के तमाम साजिशों के बाद भी सदा सदा के लिए अमर रखने का संकल्प लेता है।*
सौजन्य: इंटरनेट