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जाने स्वामी विवेकानंद // पुण्यतिथि के संबंध में 

 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

 

*आज के समय में तो दुनिया एक ग्लोबल विलेज बन चुकी है। किसी कोने में एक घटना घटती है और चंद मिनट में देश और धरती की सीमाएं लांघते हुए पूरी दुनिया में फैल जाती है। इसका श्रेय टेक्नॉलजी को जाता है। आज कुछ भी अनोखा करके टेक्नॉलजी के बल पर दुनियाभर के लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा सकता है। लेकिन 18वीं शदी में ऐसा संभव तो छोड़िए कल्पनीय भी नहीं था। फिर भी अपनी बौद्धिकता और एक सिर्फ एक वाक्य के बल पर स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका, यूरोप सहित पूरी दुनिया का दिल जीत लिया था।*

 

*’अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा’ यह स्वामी विवेकानंदजी का दृढ़ विश्वास था।*

 

*स्वामी विवेकानंद पांच बार काशी आए थे। उनको काशी में ही अपनी मृत्यु का आभास हो गया था। इसका जिक्र उन्होंने अपने पत्र में भी किया था।*

 

*उन्होंने 39 वर्ष पांच माह, 24 दिन की अल्प आयु में शरीर त्याग दिया था। वर्ष 1902 में जब वो बनारस आए तो बीमार थे। यहीं ठहरे व एक माह तक स्वास्थ्य लाभ किया। 4 जुलाई 1902 को स्वामी विवेकानंद महासमाधि में लीन हो गए।*

 

*स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर जानें उनके 10 अनमोल और प्रेरणादायक विचार*

 

1. उठो और जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते।

 

2. विश्व एक व्यायामशाला है जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।

 

3. एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।

 

4. पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान। ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं।

 

5. अगर परिस्थितियों पर आपकी पकड़ मजबूत है, तो जहर उगलने वाला भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

 

6. जो तुम सोचते हो वो हो जाओगे। यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो, तुम कमजोर हो जाओगे, अगर खुद को ताकतवर सोचते हो, तुम ताकतवर हो जाओगे।

 

7. तुम्हें अंदर से सीखना है सब कुछ। तुम्हें कोई नहीं पढ़ा सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। अगर यह सब कोई सिखा सकता है तो यह केवल आपकी आत्मा है।

 

8. आप जोखिम लेने से भयभीत न हो, अगर आप जीतते हैं, तो आप नेतृत्व करते हैं और अगर हारते हैं, तो आप दूसरों का मार्गदर्शन कर सकते हैं।

 

9. ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं।

 

10. जब भी दिल और दिमाग के टकराव हो तो दिल की सुनो।

सौजन्य:इंटरनेट

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