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ब्रिटेन के अगले PM होंगे कीर स्टार्मर, नए पीएम और भारत के पर क्या असर रहेगा!!

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

यूके: ब्रिटेन में हुए आम चुनाव में लेबर पार्टी को भारी जीत मिली है।इसके नेता कीर स्टार्मर अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। वहीं कंजरवेटिव पार्टी के नेता और मौजूदा प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की अगुवाई में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है।भारतीय मूल के ऋषि सुनक को लेकर भारतीय समुदाय में गर्व की भावना देखी जा सकती है। वह हमेशा अपनी जड़ों से जुड़ने पर खुशी महसूस जताते रहे हैं। वह हमेशा अपने दौरों पर मंदिरों में जाते थे।उनकी ऐसी कई फोटो हमेशा मीडिया में आती रही हैं। ऋष‍ि सुनक की कई बार भगवानों के साथ फोटो आती रहती है।

अब जबकि ऋषि सुनक सत्ता से बाहर हो गए हैं, तो भारत विरोधी पाकिस्तानी समुदाय में खुशी देखी जा सकती है। क्योंकि पहले से ही लेबर पार्टी को पाकिस्तान समर्थक माना जाता रहा है।बहरहाल कीर स्टार्मर लेबर पार्टी के दूसरे नेताओं से भिन्न हैं और वह स्‍वामी नारायण मंदिर भी गए थे।इससे पाक‍िस्‍तान‍ियों को ज्‍यादा खुश होने की जरूरत नहीं है।

कई बार ऐसे मौके आए हैं जब स्टार्मर ने भारत के समर्थन वाली नीतियों का पक्ष लिया है।जिससे साफ है कि राष्ट्रवाद के समर्थक कीर स्टार्मर की नीतियां आने वाले वक्त में भारत के पक्ष में रह सकती हैं।

ब्रिटेन में भारतीय मूल के वोटरों की संख्या करीब 15 लाख है, वहीं पाक‍िस्‍तानी वोटर 11 लाख के करीब हैं।पहले तो लेबर पार्टी को पाकिस्तान समर्थक माना जाता रहा है।उसके कई नेता अक्सर दावा कर चुके हैं कि वो पाक‍िस्‍तानी के साथ दोस्‍ती को नए एंगल में ले जाएंगे।मगर लेबर पार्टी ने बाद में अपना रुख बदला और हिंदू वोटों को लुभाने की कोशिश के तहत सीधा यू टर्न ले लिया।पहले तो लेबर पार्टी ने कई नेताओं ने कश्मीर में धारा 370 को हटाने का विरोध किया।पार्टी का नजरिया था कि ये गलत है और इस फैसले को वापस लेना चाह‍िए। जबकि कीर स्‍टार्मर इसके उलट हैं। उन्होंने धारा 370 को कश्मीर से हटाने का समर्थन किया है।

 

इस तरह देखा जाए तो कोई भी बड़ी इकोनॉमी इस समय भारत के साथ संबंध की कीमत पर पाकिस्तान के साथ दोस्ती बढ़ाने का खतरा मोल लेने की गलती नहीं कर सकती है। कीर स्टार्मर की सरकार में भी विदेश नीति हमेशा ब्रिटेन के हितों को साधने की रहेगी।ब्रिटेन के हित सबसे ज्यादा भारत के साथ करीबी रिश्तों से ही पूरे होंगे। इस बात को लेबर पार्टी की नई सरकार भी बखूबी समझती है।

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