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_Israel Iran War: पहले ईरान के परमाणु ठिकानों पर साइबर अटैक, अब लेबनान पर सबसे बड़ा हमला की तैयारी, बैरूत एयरपोर्ट बंद_*

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

एजेंसी, बैरूत। इजरायल और ईरान के बीच तनातनी कम नहीं हो रही है। ताजा खबर यह है कि ईरान में अब तक का सबसे बड़ा साइबर अटैक हुआ है। इसके लिए ईरान ने इजरायल पर आरोप लगाया है। साइबर अटैक में ईरान के परमाणु केंद्रों के साथ ही सभी बड़ी सरकारी को भी निशाना बनाया गया है।

इस बीच, खबर है कि इजरायल, लेबनान पर भी बड़ा हमला करने की तैयारी में है। इजरायल की चेतावनी के बीच बैरूत में हवाई अड्डा बंद कर दिया गया है। इसके बाद सब तरफ अफरातफरी का माहौल है। अधिकांश विदेशी नागरिक बैरूत छोड़ चुके हैं। हालांकि बड़ी संख्या में लोग अब भी फंसे हैं।

साइबर अटैक से इजरायल ने लिया ईरान के हमले का बदला?

 

बीते दिनों ईरान ने इजरायल पर 200 मिसाइलों से हमला किया है। तब इजरायल ने किया था कि ईरान को इसकी कीमत चुकाना होगी। अब साइबर अटैक के बाद माना जा रहा है कि इजरायल ने बदला ले लिया है।

ईरान का आरोप है कि इजरायल ने साइबर हमला करके महत्वपूर्ण डेटा चुराया है। साइबर हमले से सरकार की लगभग सभी कई एजेंसियों का कामकाज बाधित हुआ। परमाणु सुविधाओं को भी निशाना बनाया गया।

 

ईरान की सुप्रीम काउंसिल ऑफ साइबरस्पेस के हवाले से बताया गया कि ईरान सरकार की सभी तीन शाखाएं – न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका – भारी साइबर हमलों की चपेट में आ गई हैं।

ईरान इंटरनेशनल ने कहा, देश की परमाणु सुविधाओं के साथ-साथ ऑयल डिस्ट्रीब्यूशन, नगर पालिका नेटवर्क, परिवहन नेटवर्क, बंदरगाह और अन्य क्षेत्रों जैसे नेटवर्क को भी साइबर हमलों द्वारा टारगेट किया गया है।

 

अमेरिका के सहयोगी खाड़ी देशों को ईरान की चेतावनी

 

इस बीच, वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने अपने अरब पड़ोसियों और खाड़ी में अमेरिकी सहयोगियों को कड़ी चेतावनी जारी की है। इसमें कहा गया है कि अगर ईरान पर किसी भी संभावित हमले में इजरायल की सहायता के लिए उनके क्षेत्रों या हवाई क्षेत्र का उपयोग किया जाता है तो गंभीर जवाबी कार्रवाई की जाएगी।रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह चेतावनी सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन और कतर जैसे देशों को जारी की गई है। गुप्त राजनयिक चैनलों के माध्यम से ईरान ने इन देशों तक अपनी बात पहुंचाई है। ये सभी देश अमेरिकी सैन्य बलों को अपनी जमीं का उपयोग करने का अधिकार देते रहे हैं।

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