बसंत उत्सव में संगीत, सौंदर्य और सेवा का अनूठा संगम

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड।जमशेदपुर में बसंत उत्सव समिति के तत्वावधान में रविवार को एग्रिको पोस्ट ऑफिस मैदान में हर्षोल्लास के साथ बसंत उत्सव का आयोजन किया गया। यह उत्सव संगीत, सौंदर्य और मानवता का अनूठा संगम बना। कार्यक्रम का उद्घाटन टीनप्लेट इवनिंग क्लब के अध्यक्ष सौरज्योति डे, समाजसेवी अल्पना भट्टाचार्य, बंगाल क्लब के उपाध्यक्ष पार्थ सारथी सेन, सिविक एसोसिएशन के अध्यक्ष बिस्बनाथ सरकार और बसंत उत्सव समिति के अध्यक्ष अचिंतम गुप्ता ने दीप प्रज्वलित कर किया।
अतिथियों ने अपने संबोधन में विश्वकवि रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा शांतिनिकेतन में प्रारंभ किए गए बसंत उत्सव की चर्चा की और इसे प्रकृति के प्रति प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक बताया। समिति के महासचिव स्वपन राय ने स्वागत भाषण दिया।
संगीत और नृत्य की बही सुरमयी धारा
कार्यक्रम में संगीत और नृत्य की मोहक प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया। स्थानीय संगीतकार सव्यसाची चंद ने “आमी बांगलाए गान गाई…” और “ओरे भाई फागुन लेगेछे बोने बोने…” जैसे गीतों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। शांता बनर्जी ने “ए गाने प्रोजापोती पाखाय पाखाय रंग छोराए…” और “वंदे माया लागाइछे पिरिती सिखाइछे…” प्रस्तुत कर रंग जमाया। आयुष मित्रा ने “ओ चांद, संभालो जोछनाके…” और “बाजे गो वीना…” गाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
नृत्य प्रस्तुतियों में अर्जोमा झा ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। कोलकाता से आईं बांग्ला संगीत गायिका केमेलिया दास ने “लाल पहाड़ीर देशे जाबो…”, “एकटा कालो भोमोर…” और “मोने कोरी आसाम जाबो…” जैसे गीतों से समां बांधा। वहीं, गायक कुमार अर्कित ने “देखो आलोय आलो…”, “जीबोने की पाबो ना…” और “से प्रथम प्रेम आमार नीलांजना…” गाकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
फूड फेस्टिवल और रक्तदान शिविर बने आकर्षण का केंद्र
उत्सव में विभिन्न स्टॉल लगाए गए, जिनमें फूड फेस्टिवल विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। स्वादिष्ट व्यंजनों की खुशबू से पूरा परिसर महक उठा।
इस बार बसंत उत्सव में मानवता को सर्वोपरि रखते हुए पहली बार रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। प्रतीक संघर्ष फाउंडेशन और जमशेदपुर ब्लड सेंटर के सहयोग से आयोजित इस शिविर में 55 महिला-पुरुषों ने रक्तदान किया, जिससे उत्सव को एक नई सार्थकता मिली।
सफल आयोजन में समिति के सदस्यों का योगदान
कार्यक्रम को सफल बनाने में बसंत उत्सव समिति के अध्यक्ष अचिंतम गुप्ता, महासचिव स्वपन राय, सामंतो कुमार, रंजन बनर्जी, अरुण सरकार, शम्पा दासगुप्ता, मधुमिता बनर्जी, नीता बोस, तमालि सोम, बाच्चू, रूपम, देबराज, बिशु, तरुण बिस्वास, इति बनर्जी, मौसमी सिन्हा, शरबानी मित्र, पिजुश पाल, राणा, पंकज दत्ता, प्रीतिलता दत्ता आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
बसंत उत्सव ने एक बार फिर यह साबित किया कि यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि संगीत, सौंदर्य और सेवा का अद्भुत संगम है, जो प्रकृति, संस्कृति और मानवता को जोड़ता है।