सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू ने भाजपा का दामन थामा: संथाल परगना में आदिवासी मुद्दों के संघर्ष की कहानी
न्यूज़ लहर संवाददाता
रांची:संथाल हूल के वीर शहीदों, सिदो और कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू ने आखिरकार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया है। इस फैसले ने आदिवासी समाज में हलचल पैदा कर दी है, जो हमेशा से अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान की रक्षा के लिए संघर्ष करता आया है। मंडल मुर्मू का भाजपा में शामिल होना संथाल परगना के आदिवासियों के लिए एक प्रतीकात्मक निर्णय है, जो राज्य में आदिवासी अधिकारों और मूलभूत मुद्दों की उपेक्षा को दर्शाता है।
संथाल परगना के भोगनाडीह में प्रवेश करने से पहले ही रास्तों में नए पक्के मकानों पर एक राजनैतिक दल के झंडे लहराते नजर आते हैं। ये मकान अधिकतर बांग्लादेशी घुसपैठियों के बताए जाते हैं, जो इस क्षेत्र में आकर आदिवासी समाज की भूमि और संसाधनों पर अधिकार जमा रहे हैं।
ये झंडे केवल उनकी सुरक्षा का संकेत नहीं बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए “किसी दल विशेष के संरक्षण में आने” का संदेश भी देते हैं। यही कारण है कि मंडल मुर्मू जैसे आदिवासी नेताओं ने भाजपा में जाकर अपना समर्थन जताया है, ताकि अपने समाज को इस चुनौती से बचा सकें।
आज संथाल परगना के कई हिस्सों, जैसे पाकुड़ और साहिबगंज में आदिवासी समुदाय अल्पसंख्यक बन चुका है। जिकरहट्टी, मालपहाड़िया, तलवाडांगा, और किताझोर जैसे गांवों में अब आदिवासियों के घर, खेत, और भूमि पर इन घुसपैठियों का कब्जा हो चुका है। राज्य सरकार की आदिवासी हितैषी होने की दावेदारी को मंडल मुर्मू ने नकारा, खासकर तब, जब उन्होंने हाई कोर्ट में इन अवैध घुसपैठियों के पक्ष में शपथ पत्र जमा कर दिया।
संथाल परगना में आपराधिक गतिविधियों का जाल इतना गहरा हो गया है कि जामताड़ा और साहिबगंज में पुलिस को साइबर अपराध, नशीले पदार्थों की तस्करी, और सोने की तस्करी के अड्डों पर छापेमारी करनी पड़ती है। स्थानीय आदिवासी महिलाओं और युवतियों की सुरक्षा भी खतरे में है, जिसमें रुबिका पहाड़िया की हत्या जैसे जघन्य मामले सामने आए हैं, जो इलाके में बढ़ते अपराधों की ओर इशारा करते हैं।
मंडल मुर्मू का भाजपा में शामिल होना आदिवासी समाज के हितों की रक्षा और इन घुसपैठियों के बढ़ते प्रभाव का विरोध करने के उद्देश्य से लिया गया कदम है। हालांकि, इस कदम के बाद उन्हें धमकियां भी मिल रही हैं और उनके खिलाफ पोस्टर लगाए जाने की सूचना है। मंडल मुर्मू ने कहा कि इन धमकियों का मुख्य कारण यही है कि कुछ लोग आदिवासियों के हर मुद्दे पर अपनी हुकूमत कायम रखना चाहते हैं और उन्हें डराकर चुप कराना चाहते हैं।
मंडल मुर्मू ने कांग्रेस और उनके सहयोगियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा से आदिवासी समुदाय के अधिकारों को कुचलने की कोशिश की है। 1961 में जनगणना से “आदिवासी धर्म कोड” को हटाने का भी जिक्र करते हुए उन्होंने कांग्रेस पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाया। पेसा कानून, जनजातीय भाषा में प्राथमिक शिक्षा की मांग, और आदिवासी युवाओं के रोजगार से जुड़े मुद्दों पर भी वर्तमान सरकार की उपेक्षा का उल्लेख किया।
मंडल मुर्मू ने अंत में कहा कि झारखंड में आदिवासी विरोधी सरकार की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और आने वाले दो हफ्तों में राज्य की जनता इनका हिसाब करेगी।